साक्षात्कार- शैलेन्द्र मिश्रा एडवोकेट - काशीपुर, उत्तराखंड के रहने  वाले वरिष्ठ अधिवक्ता और धर्म निरपेक्ष सामाजिक कार्यकर्ता श्री  शैलेन्द्र मिश्रा ने काशीपुर क्षेत्र के विकास और समस्याओं में हमेशा ही बढ़ चढ़कर हिस्सा  लिया है। उनका योगदान बहुत ही सरहानीय रहा है। जिला बनाने की मांग हो या सामाजिक कार्य या खेलों के  प्रोत्साहन  - उन्होंने सभी समुदायों के लोगों का भरपूर समर्थन किया है। 
इनसाइड कवरेज न्यूज़ द्वारा श्री शैलेन्द्र मिश्रा का साक्षात्कार लिया गया जिसके  मुख्य अंश:

प्र० - 1 - आपके जीवन का उद्देश्य क्या है ?
ऊ० -     समाज से जुडी समस्याओं के प्रति मेरा हमेशा झुकाव रहा हैं। मैंने  हमेशा समाज के हितों के लिए कार्य किये और आगे भी करता रहूँगा। अपनी कमाई का 20% समाजिक कार्यों के लिए  रखता हूँ।

प्र० - 2  -आप समाज और देश के हित के लिए क्या बदलाव चाहते हैं ?
ऊ० - समाज में समानता का अधिकार मिलना चाहिए, सभी को सामान शिक्षा, सामान स्वास्थ्य सेवाएँ, सामान अवसर मिलने चाहिए। आरक्षण को भी वहां समाप्त कर देना चाहिए, जहाँ आरक्षण पाने वाले लोग सक्षम हो चुकें हैं।

प्र० - 3- समानता के अधिकार ना मिलने का मुख्य कारण क्या है ?
ऊ० -समानता का अधिकार राजनीति की वजह से नहीं मिल पा रहा है, वोटों की वजह से सामान व्यवस्था पटरी पर नहीं उतर पा रही है।

प्र० - 4  - काशीपुर शहर की सबसे बड़ी समस्या या मांग क्या है ?
ऊ० - हामारे शहर की सबसे बड़ी समस्या जिले का ना बनना है, जिले की मांग हिन्दुस्तान की सबसे पुरानी मांग है,

प्र० - 5- जिला बनने से क्या फायदे होंगे?
उ० - जिले बनने से सुलभ न्याय मिल सकेगा , रोज़गार का सर्जन होगा, शिक्षा में विकास होगा,बड़ी योजनाये आयंगी।

प्र० - 6 - जिला ना बनने का सबसे बड़ा कारण क्या है ?
उ० - जनता को अभी तक कोई दमदार सांसद या विधायक नहीं मिला जो जिले की मांग को ज़ोरदार तरीके से रख सके। अभी तक सभी नेताओं और पार्टियों ने जनता को छला है।
प्र० - 7 - उधम सिंह नगर जिले की बड़ी समस्या क्या है ?
उ० - जिले की सबसे बड़ी समस्या अवैध खनन है। करोड़ों -अरबों रुपये का अवैध खनन का कारोबार चल रहा है।

प्र० - 8  - इसकी वजह क्या है ?
उ० - कानून में देरी की वजह से अपराधी नहीं डरते और न्याय व्यवस्था में जजों की कमी भी एक कारण है। इसके अलावा  फास्ट ट्रेक कोर्ट हर शहर में होनी  चाहिए।



प्र० - 9  - आपकी कोई राजनैतिक महत्वकांक्षा ?
उ० - जहाँ पर करोड़ों - अरबों की टिकटों की खरीद -फरोख्त हो वहां ऐसे सपने पालने मुमकिन नहीं लेकिन अगर कोई बिना पैसो के कोई पार्टी टिकट देगी तो मैं लड़ने की सोचूंगा।



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