पंतनगर। 09 जुलाई 2015। पंतनगर विष्वविद्यालय द्वारा देश  की कृषि को आगे बढ़ाने के साथ-साथ उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किये जाने की आवष्यकता है। यह बात आज उत्तराखण्ड के राज्यपाल एवं पंतनगर विष्वविद्यालय के कुलाधिपति, डा. कृष्ण कांत पाॅल ने कही। वे आज पंतनगर विष्वविद्यालय के भ्रमण पर थे, जहां उन्होंने कुछ कार्यक्रमों एवं नये भवन का उद्घाटन किया। 

    राज्यपाल द्वारा सर्वप्रथम विष्वविद्यालय के सबसे पुराने छात्रावास, गांधी भवन, में वृक्षारोपण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। यह कार्यक्रम विष्वविद्यालय के सभी छात्रावासों में किया जाना है, जिसके अंतर्गत सभी छात्रावासों के अभिरक्षक एवं विद्यार्थी अपने-अपने छात्रावासों में विभिन्न प्रकार के वृक्षों का रोपण करेंगे तथा बाद में उनकी देखभाल भी करेंगे। इनसे प्राप्त होने वाले उत्पाद भी उसी छात्रावास के विद्यार्थियों के लिए प्रयोग किये जायेंगे। गांधी भवन छात्रावास में ही राज्यपाल ने सभी छात्रावासों में प्रारम्भ किये जाने वाले जीर्णोद्धार कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया। विष्वविद्यालय के सभी 22 छात्रावासों में 10 करोड़ रूपये की लागत से विभिन्न जीर्णोद्धार के कार्य किये जायेंगे, जो अगले दो-तीन माह में पूर्ण कर लिये जायेंगे। गांधी भवन के पश्चात् कुलाधिपति ने विष्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में नव-निर्मित आई.टी. भवन का फीता काटकर उद्घाटन किया तथा भवन में बने सभाकक्ष, प्रयोगषाला एवं अन्य कक्षों का निरीक्षण किया। विष्वविद्यालय के कुलपति, डा. मंगला राय ने गांधी भवन एवं आई.टी. भवन में कुलाधिपति को सभी कार्यक्रमों व आई.टी. भवन के बारे में विस्तृत जानकारी देने के साथ-साथ विष्वविद्यालय की विशेषताओं के बारे में भी बताया। 

    प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के सभागार में शि क्षकों, वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कुलाधिपति ने कहा कि पंतनगर विष्वविद्यालय 60 के दशक में देश से भुखमरी मिटाने एवं हरित क्रांति लाने के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा, देष की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। डा. पाॅल ने कहा कि देश की कृषि को नयी दिशा  देने के साथ-साथ अब उत्तराखण्ड राज्य की जिम्मेदारी को देखते हुए उसे पर्वतीय क्षेत्र में कृषि के विकास में आ रही समस्याओं की ओर ध्यान केन्द्रित करने की आवष्यकता है। यहां की कृषि के उत्पादन में वृद्धि के उपाय खोजे जाने के लिए नयी शोध की जानी होगी, ताकि पर्वतीय कृषि को लाभप्रद बनाते हुए नवयुवकों के मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि कृषि में निवेषों की लगातार हो रही कमी को देखते हुए कम से कम पानी, भूमि एवं रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने की तकनीक खोजी जानी होगी। उन्होंने रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाषियों इत्यादि के अधिक प्रयोग से स्वास्थ्य के लिए हो रही विभिन्न समस्याओं, विषेष रूप से कैंसर जैसी भयावह बीमारियों, भूमि की उपजाऊ शक्ति में हो रहे हृास तथा मृदा संरचना में बदलाव की ओर ध्यान आकृष्ट किया एवं इनके समाधान ढूंढे जाने की आवष्यकता बतायी। कृषि की समस्याओं को दूर करने एवं नयी तकनीकों को इजाद करने में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने इसका अधिक से अधिक प्रयोग करने की सलाह दी। 

डा. मंगला राय ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में कुलाधिपति का स्वागत करते हुए कहा कि हरित क्रांति के दौर के बाद अब कृषि की परिस्थितियों में काफी बदलाव आ गया है। पुरानी तकनीकें अब उत्पन्न होने वाली कृषि की समस्याओं का समाधान करने के लिए काफी नहीं है। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी आधारित नयी तकनीकों जैसे सेंसर आधारित तकनीकों के माध्यम से उर्वरकों का प्रयोग इत्यादि को कृषि में समावेषित करने की आवष्यकता पर बल दिया। उत्तराखण्ड की कृषि के लिए विष्वविद्यालय द्वारा प्रारम्भ किये जाने वाले आधारीय शोध कार्यक्रमों के बारे में भी डा. राय ने जानकारी दी। अंत में प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डा. एच.सी. शर्मा ने राज्यपाल एवं अन्य सभी का धन्यवाद किया। इन अवसरों पर विष्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेषक, अधिकारी एवं विद्यार्थी के साथ-साथ जिलाधिकारी डा0 पंकज कुमार पाण्डेय व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नीलेष आनंद भरणे मौजूद थे।
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