पंतनगर 01 अक्टूबर- गोबिन्द बल्लभ पंत कृषि  एवं प्रौद्योगिक वि0विद्यालय पंतनगर के तत्वाधान में 01 अक्टूबर से 04 अक्टूबर तक चार दिवसीय 98वें अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन आज प्रदेश  के महामहिम श्री राज्यपाल डाॅ0 के.के पाॅल द्वारा फीता काटकर किया गया। इस मौके पर उन्होंने किसानों को बधाई देते हुये कहा कि यह किसान मेला एक कृषि  कुम्भ की तरह तीर्थ मेले के समान हैॅ। उन्होंने कहा कि इस मेले में किसान नये वातावरण,नई खोज व नवीतम वस्तुओं से रूबरू होते है। उन्होंने कहा कि कृषि का देश  की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान है। यदि कृशि उन्नति नही करेगी तो इसका प्रभाव विकास के अन्य आयामों पर पडेगा। 
 
उन्होंने कहा कि पंतनगर कृशि वि0वि0 उन्नत बीजों के खोज एवं उत्पादन के लिये अन्तर्राश्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है लिहाजा किसानों को चाहिये कि वह इस मेले का भरपूर फायदा उठायें। डाॅ0 पांल ने कहा कि आज कृषि के क्षेत्र जो अभूतपूर्व उन्नति हुई इसका श्रेय पंत कृशि वि0वि0 को जाता है।  इसलिये इस विष्वविद्यालय को कृशि के क्षेत्र में तीर्थ  का स्थान प्राप्त है । उन्होंने कहा कि पूर्व में देश  को लगातर बढ रही जनसंख्या की खाद्यान्न की पूर्ति के लिये विदेशो  से लगभग 20 हजार टन खाद्यान्न आयात करना पड रहा था किन्तु इस स्थिति को नियन्त्रित करते हुये कृशि वि0वि0 ने पर्याप्त अन्न पैदा कर देश  का खाद्यान्न कोटा पूरा किया है। कृशि वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से आज कृषि लगातार उन्नति की ओर है और फूडग्रेन के क्षेत्र में भारत द्वारा 38 मिलियन डाॅलर के करीब निर्यात किया जा रहा है जो कीर्तिमान है इसका श्रेय किसानों को जाता है। 
 
डाॅ0 पांल ने कहा कि आज हम आर्थिक रूप से आत्म निर्भर है इसके पीछे किसानों का बहुत बडा योगदान है। उन्होंने कृषि  के विभिन्न पहलुओं पर चिंता जाहिर करते हुये कृशि वैज्ञानिकों को नसीहत दी कि कृषि के क्षेत्र में अभी बहुत सी समस्यायें हमारे सम्मुख है जिन पर कृषि के क्षेत्र मे नये शोधों की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की समस्या के कारण कृषक  अतिवृश्टि व अनावृश्टि से जूझ रहा है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि वह इजराईल देश  से सीख लेकर ऐसी तकनीक विकसित करें कि कम सिंचाई के साधानों में कृषि उत्पादन को बढाया जा सकें। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के अन्धाधुंध प्रयोग मृदा की उर्वरक षक्ति में ह्रास हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिये मिट्टी की उत्पादन क्षमता व रसायनों के कम प्रयोग से सम्बन्धित अनुसंधान किये जाय। उन्होंने कृशि वैज्ञानिकों से कहा कि किसानों की अतिरिक्त आय के लिये उच्च नस्ल की भेड व बकरी पालन को भी बढावा दिया जाय। उन्होंने कृशि वैज्ञानिकों से कहा कि आज उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में कृशि उत्पादों को बढावा  देने के लिये षोध की जरूरत है ताकि वहां के निवासियों को स्थानीय स्तर कार्य मिल सके और पहाडों से पलायन  भी रुक सकें। 
 
डाॅ0 पाॅल ने कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सीमित संसाधनों के वावजूद कृशि क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये जाने पर बधाई दी। उन्होंने कृशि क्षेत्र में उत्कृश्ट कार्य करने वाले प्रदेश  के विभिन्न जिलों से आये हुये प्रगतिशील किसानों को पुरस्कार देकर समानित किया, जिसमें किसान कुंवरपाल सैनी हरिद्वार,संजय पाण्डे पिथौरागढ,षेखर चन्द्र मिश्रा चमेाली,थान सिंह चमियाल नैनीताल,प्रेम चन्द्र षर्मा देहरादून,प्रभाकर सिंह भाकुनी अल्मोडा,पूरनचन्द्र कोठारी चम्पावत,विमला देवी उधमसिंह नगर एवं कपिल शर्मा रूद्रप्रयाग से शामिल थें। इससे पूर्व महामहिम द्वारा विभिन्न स्टालो का निरीक्षण भी किया गया। 
 
विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 मंगला राय ने अपने सम्बोधन में विष्व विद्यालय द्वारा किये जा रहे शोघों पर विस्तार से प्रकाश  डाला। उन्होंने कहा कि वि0वि0 द्वारा कृशकों की समस्याओं के समाधान के लिये जो आविश्कार व अनुसंधान किये गये है उनका प्रस्तुतिकरण इस मेले में किया गया है।  उन्होंने बताया कि वि0 विद्यालय द्वारा 300 से अधिक उन्नतशील विभिन्न प्रजातियों के बीजों का विकास किया गया है।उन्होंने बताया कि वि0वि0 द्वारा ऐसे शोध किये जा रहे कि आम जैसा फल प्रत्येक मौसम में प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि ऐसे ही प्रयास केला व कटहल के क्षेत्र में भी किये जा रहे है। डाॅ0 राय ने किसानों का आह्वान किया है कि वह वि0वि0 द्वारा कृषि के क्षेत्र में किये जा रहे नई तकनीकों के समबन्ध में वैज्ञानिकों से परामर्श  लें । 
किसान मेले के उद्घाटन समारोह में विषेश कार्याधिकारी/सचिव राज्यपाल अरूण कुमार ढौडियाल,निदेशक शोध डाॅ0 जेपी सिंह,निदेश क प्रसार डाॅ0 डबास,डाॅ0 राजेन्द्र पाल के अलावा विधायक राजेश शुक्ला,प्रेमलता सिंह,जीके गर्ग,केपी सिंह,जिलाधिकारी डाॅ0 पंकज कुमार पाण्डेय,एसएसपी नीलेश  आनन्द भरणें,सीडीओ डाॅ0 आशीष  श्रीवास्तव,एडीएम दीप्ति वैष्य समेत कृषि वैज्ञानिक एवं अधिश्ठातागण एवं बडी संख्या में किसान उपस्थित थे।


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