हमारा संविधान कहता है की - राज्य चिकित्सा उदेश्य को छोड़कर नशीले पेय पदार्थो और मादक द्रव्यों जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, के उपभोग पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रयास करेगा - यह एक मजाक है की भारत में राज्य सरकारें ही वितरण का कार्य करती है।

गांधी जी को राष्ट्र पिता कहने वाले लोग गांधी जी द्वारा शराब के विरुद्ध संघर्ष को भूल गए। संविधान में किये गए वर्णन के बाद भी सरकारे शराब व्यापार में शामिल है। 

राजस्व की प्राप्ति के लिए सरकारों को शराब के अतिरिक्त कोई दूसरी वास्तु या कमाई के  अन्य साधन नहीं दिखते ।  जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने से कोई भी सरकार नहीं डरती।  दिनों दिन शराब की दुकानों में वृद्धि की  जा रही है। नेशनल हाइवे पर भी शराब बेची जाती है जिससे दुर्घटनाये होती है, जान माल का नुक्सान होता है। लेकिन सरकार को शराब बेचनी है राजस्व कामना है , चाहे जनता और देश को कितना भी नुक्सान उठाना पड़े।
(साभार - IGNOU BSW BOOK)