हमारे देश में अंग्रेजी बहुत कम लोग जानते है, फिर भी दवाइयों के नाम और उनकी जानकारी अंग्रजी मे ही लिखि होती हैं। जिसे पढ़ना आम लोगो और क़म पढ़े लिखेँ लोगोँ के लिए बहुत मुश्किल होता है। कई बार गलत दवाई भी दे दी जाती है। इसीलिए स्वास्थ्य विभाग और मत्रलयों को इस और ध्यान देना चाहिए और जिस प्रदेश में जिस भाषा का ज्यादा इस्तेमाल होता हो वहाँ दवाइयों के ऊपर उनके नाम व ज़ानकारी उसी भाषा में लिखने का नियम लागु किया जाऐ। और डॉक्टरों को भी हिंदी या लोकल भाषा में दवाईयां के नाम लिखने चाहिए।