साल की सजा सुनाई है और 100 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है। उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी भी चली गई है, यह सजा भ्रष्टाचारियों पर एक करारा तमाचा है, ऐसे बहुत से नेता अभी खुलेआम जनता को लूट रहे है करोड़ों अरबो के घोटाले करने के बाद भी उनका मुकदमा कई सालों से चल रहा है। जय ललिता का फैसला भी 18 साल बाद आया है।
अदालतों के फैसले इतनी देर से आते हैं की जुर्म करने वालो का डर ही खत्म हो जाता है। इसीलिए न्याय पालिका को न्याय व्यवस्था में जल्द ही कुछ परिवर्तन करने चाहिए जिससे ऐसे भ्रष्ट नेताओ को कुछ सालों में ही सजा दी जा सके और आगे से कोई भ्रष्टाचार करने की सोचे भी नहीं।
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