दिनांक 31 तारीख को सायं 5 बजे से 7 :30 काशीपुर साहित्य दर्पण की मासिक काव्य गोष्ठी शिव नगर में कवि नवीन सिंह "नवीन" के निवास पर हुयी  इस कार्यक्रम की अधयक्षता उत्तरखंड रत्न सम्मान प्राप्त व प्रसिद्ध गीतकार  संगीतकार और गायक ज्ञानी   सुभाग सिंह जी  ने की।  संचालन रामनगर से आये प्रसिद्ध कवि व सरकारी अध्यापक श्री ओम सरन आर्य "चंचल " ने किया।
कवियों ने कुछ इस प्रकार से तालियां व प्रशंसा  बटोरी सबसे पहले कवि मुनेश ने कहा कि "कुछ प्राणी मशहूर थे अपनी ज़हर उगलती जिभ्या से , कोयल कि बोली बिसराकर उनसे सीखी उनकी भाषा,  श्री बिरेश चन्द्र बाजपेयी ने सुनाया कि " गुनहगार गुनाह करके चले गए  और हम बेगुनाह दल दल में फस गए , खुद पे भरोसा था हद से ज्यादा मगर , सियासतदारों कि सियासत में फस गए  कवि नवीन के युवाओ को समर्पित गीत में कहा कि " देश के नवजवानों आगे आओ, जागे जाओ, वक्त बदलने वाला है, तकदीर देश कि बदलो तुम, उठो भारत के युवा अब भारत को जगतगुरु बनाओ,   कुमारी अंशिका जैन ने गुरु कि महिमा कुछ यूँ बताई कि " गुरु बिना शिष्य जैसे जल बिना मीन है , गुरु के आशीष बिना सारा जीवन दीन है  हिंदी दिवस के आगमन पर कवि  कैलाश चन्द्र यादव ने कहा कि न ये हिंदी दिवस होता , न अपना ये मिलन होता , महकते फूल ये तनहा , सिसकता ये चमन होता  डॉ सुरेन्द्र मधुर ने कहा कि राम और हिंदुत्वा पर जो न लिखते आलेख , वो पूरे अंग्रेज हैं देख सका तो देख रामनगर से आये कवि "चंचल " ने दोहो में अपने बात कुछ यु रखी कि " बिखर गए सम्बन्ध सब, टूट गए बिस्वास , पनघट से लौटा कलश, लेकर अपनी प्यास" , मित्रो के अंदर हुआ , यह कैसा बदलाओ , नमक डालने के लिए , ढून्ढ रहे हैं घाओ" . अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष बाबा सुभग सिंह ने अपनी बात कुछ यू कही कि "  जोगी का एक ताक बोले चल तू , चल तू , चल तू, देर बहुत हो गयी रुकजा अब जा कल तू, कल तू कल तू , सब कि प्यास भुझा लगा यहाँ नल तू , नल तू, नल तू।
अगले माह कि काव्य गोष्ठी ज्ञानी सुभग सिंह के निवास पर तीसरे रविवार सायं 4  होगी