
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण सन्सिथता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम: ।।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम: ।।
नवरात्र अपने भीतर की शक्तियों को जाग्रत करने का आब्हान है।
हमारे अन्दर इच्छाशक्ति नहीं है, तो हम किसी भी काम की शुरुआत नहीं कर
सकते।
ज्ञान शक्ति नहीं है तो उस काम को बेहतर तरीके से आगे नहीं बढा सकते।
यदि हमारे पास क्रिया शक्ति नहीं है तो उस कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न नहीं कर सकते।
इन्ही शक्तियों को जाग्रत करने का अवसर देता है नवरात्र पर्व।
आईये इस पावन पर्व पर हम इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रियाशक्ति को जाग्रत करें।
ताकि कठिन परिस्थितियों में असुरों से मुकाबला कर सकें।
आईये इस पावन पर्व पर हम इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रियाशक्ति को जाग्रत करें।
ताकि कठिन परिस्थितियों में असुरों से मुकाबला कर सकें।
जय माता दी
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