नई दिल्ली,
संपर्क क्षेत्र में क्रान्ति होने के कारण पाश्चात्त्य संस्कृति का आक्रमण बढता जा
रहा है । एक और हिन्दू धर्मपर आघात हो रहे है, तो भारत को ISIS का संकट बढ रहा है । यदि कल की
पीढी को हमें हमारे संस्कृति की धरोहर एवं धर्म की रक्षा के साथ उन्हे बलशाली भारत
देना है, तो आज हमें संगठित होना पडेगा । यही संगठन शीघ्र
सिद्ध हो, इसलिए हिन्दू अधिवेशन के माध्यमसे जिला स्तर से
राष्ट्रीय स्तर तक कार्यरत संगठनों को संगठित करने का प्रयास किया जा रहा है । इस
अधिवेशन से ही हिन्दूआें में संघभावना एवं धर्मबंधुत्व निर्माण होने में सहायता
होगी, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय
मार्गदर्शक पू. डॉ. चारूदत्त पिंगळेजी
ने किया ।
वे यहां
श्रीनिवासपुरी स्थित भारत सेवाश्रम संघ के भवन में आयोजित राज्यस्तरीय हिन्दू
अधिवेशन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे । इस अधिवेशन के लिए नई देहली,
पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश
एवं राजस्थान से 50 से अधिक हिंदू संगठन के प्रतिनिधी, अधिवक्ता,
विचारक उपस्थित थे ।
इस समय भारत
सेवाश्रम संघ, भोपाल के सचिव स्वामी अर्पितानंदजी ने बताया
की, हिन्दूआें मे बुद्धीमत्ता है, आर्थिक
संपन्नता है; पर संघभावना नहीं है । इस कारण हमारी संस्कृति
पर आक्रमण हो रहा है । वेदिक उपासना पीठ की संस्थापिका पू. तनुजा
ठाकूर जी ने कहा की, हिन्दू होने का गर्व अनेक लोगों को है,
पर वो हिन्दू धर्मपर कुछ प्रमुख बिंदू भी नहीं बता सकते । इस स्थिति
को बदलने के लिए हमें धर्मशिक्षा लेना आवश्यक है । फेथ फाउंडेशन के कर्नल अशोक
किणी जी ने संस्कृति उत्थान के लिए कार्य करने वाले आद्य शंकराचार्य जी को
एनसीईआरटीके पाठ्यक्रम में केवल २ पंक्तिया दी गई है, यह
विडंबना है ।
इस अधिवेशन के
दोपहर के सत्र में लव्ह जिहाद पर एड्. चेतना शर्मा, अल्पसंख्यांकों के तुष्टीकरण की राजनीती इस विषय पर श्री. विनोद सर्वोदयजी एवं ISIS का बढता संकट, इस
विषयपर श्री. राकेश गोरखा जी ने मार्गदर्शन किया । दोपहर के
सत्र में संघटित होकर क्या प्रयास कर सकते है, इस पर गुटचर्चा
का भी आयोजन किया गया ।
सौ० - श्री. सुरेश मुंजाल, हिन्दू जनजागृति समिति, नई दिल्ली
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