NEET-II परीक्षा निरस्त करने के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी क्यों ?
भारत की आम जनता व्यथित होकर एक बार फिर सभी चोर और भ्रष्ट राजनेताओं के पार्टी लाइन से उठकर एक होने का नजारा देख रही है। घोर निराशा की बात है कि माननीय उच्चतम न्यायालय के NEET-II को लागू करने के ऐतिहासिक निर्णय के विरूद्ध सभी राजनेता एकजुट होकर अध्यादेश लाने की बात कर रहे हैं। कोई इसे राज्यों की सम्प्रभुता के नाम पर, और कोई छात्रों की भाषा की समस्या के नाम पर उठा रहे हैं। पर सच्चाई यह है कि इसके पीछे प्राईवेट मेडिकल कालेजों की खरबों रूपयों की इण्डस्ट्री है जिसने इस देश में मेडिकल शिक्षा को व्यापार बना कर उसका स्तर रसातल में पहँचा दिया है।
गौरतलब है कि अधिकांश प्राईवेट मेडिकल कालेज या तो राजनेताओं के हैं या फिर उनसें सम्बन्धित व्यक्तियों के हैं। जिनमें उनका अरबों-खरबों रूपयों का कालाधन लगा हुआ है। प्राईवेट मेडिकल कालिजों के मालिकों की लॉबी किसी भी कीमत पर NEET-II की परीक्षा को रद्द करना चाहती है क्योंकि NEET-II की परीक्षा ने से न केवल इस सत्र में वे डोनेशन लेकर एडमिशन नहीं कर पायेंगे या जिनसे डोनेशन पहले ही ले चुके हैं उनकों करोड़ों रूपये की रकम लौटानी पड़ेगी। स्पष्ट है, कि NEET-II की परीक्षा होने से प्राईवेट मेडिकल कालिज के मालिकों का खरबों रूपयों का नुकसान होगा।
यह Open Secret है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री अल्तमश कबीर ने 300 करोड़ रूपये खाकर अपने सेवानिवृत वाले दिन NEET की परीक्षा निरस्त करने का विवादास्पद निर्णय दिया था। सौभाग्य से एक बेहद ईमानदार बैंच ने सभी प्रकार के दबाबों को दरकिनार करते हुए NEET की परीक्षा को बहाल करके न केवल लाखों छात्रों व अभिभावकों को एक ईमानदार परीक्षा का अवसर प्रदान किया है। साथ ही प्राईवेट मेडिकल कालिज में दाखिले के लिए यू.जी. में 30 से 40 लाख और पी.जी. में 1 से 2 करोड़ रूपये जो डोनेशन के रूपमें धन व्यय करना पड़ता था, उससे मुक्त करने का एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान किया ।
कुछ मुख्यमंत्री भी अपने राज्यों में भाषा को छदम ढाल कर NEET-II रद्द करवाने पर तुले हैं, इसका कारण छात्र हित नहीं, बल्कि उनके राज्यों में प्राईवेट मेडिकल कालिजों की लॉबी के हितों में सुरक्षा है। दूसरा कारण यह कि राज्य स्तर की मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में जमकर धांधली होती है और NEET-II होने पर धांधली करने का अवसर वे गंवाना नहीं चाहते।
गौरतलब है कि इंजीनियरिंग IIT लम्बे समय से एकीकृत प्रवेश परीक्षा JEE ले रहे हैं जो सभी राज्य स्वीकार करते हैं क्योंकि प्राईवेट इंजीनियरिंग कालेज में डोनेशन नहीं होने के कारण इसका विरोध करने वाली कोई लॉबी नहीं है।
हम सभी को अपने प्रधानमन्त्री से बहुत उम्मीदें हैं, कि आप ऐसा घोर अन्याय नहीं होने देंगे, परन्तु अफसोस कि आपके सभी मंत्री ईमानदार नहीं हैं। सम्भव है, कि आप के ही कुछ मंत्री और सांसद प्राईवेट मेडिकल कालिज की लॉबी से करोड़ों रूपये खाकर बिक चुके हों और आपको गलत राय दे रहे हों। यदि NEET-II को निरस्त करने का अध्यादेश आता है तो यह न केवल माननीय उच्चतम न्यायालय के बेहद ईमानदार, साहसी व पथ परिवर्तक निर्णय की अवमानना होगी बल्कि शाहबानों प्रकरण में लाये गये अध्यादेश के समान ही आधुनिक भारत के इतिहास में काला धब्बा होगा।
लाखों छात्र व अभिभावक व देश की करोड़ों जता मोदी सरकार को NEET-II को निरस्त करने के लिए लाये गये अध्यादेश के लिए कभी क्षमा नहीं करेगी।
Source Social Media
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भारत की आम जनता व्यथित होकर एक बार फिर सभी चोर और भ्रष्ट राजनेताओं के पार्टी लाइन से उठकर एक होने का नजारा देख रही है। घोर निराशा की बात है कि माननीय उच्चतम न्यायालय के NEET-II को लागू करने के ऐतिहासिक निर्णय के विरूद्ध सभी राजनेता एकजुट होकर अध्यादेश लाने की बात कर रहे हैं। कोई इसे राज्यों की सम्प्रभुता के नाम पर, और कोई छात्रों की भाषा की समस्या के नाम पर उठा रहे हैं। पर सच्चाई यह है कि इसके पीछे प्राईवेट मेडिकल कालेजों की खरबों रूपयों की इण्डस्ट्री है जिसने इस देश में मेडिकल शिक्षा को व्यापार बना कर उसका स्तर रसातल में पहँचा दिया है।
गौरतलब है कि अधिकांश प्राईवेट मेडिकल कालेज या तो राजनेताओं के हैं या फिर उनसें सम्बन्धित व्यक्तियों के हैं। जिनमें उनका अरबों-खरबों रूपयों का कालाधन लगा हुआ है। प्राईवेट मेडिकल कालिजों के मालिकों की लॉबी किसी भी कीमत पर NEET-II की परीक्षा को रद्द करना चाहती है क्योंकि NEET-II की परीक्षा ने से न केवल इस सत्र में वे डोनेशन लेकर एडमिशन नहीं कर पायेंगे या जिनसे डोनेशन पहले ही ले चुके हैं उनकों करोड़ों रूपये की रकम लौटानी पड़ेगी। स्पष्ट है, कि NEET-II की परीक्षा होने से प्राईवेट मेडिकल कालिज के मालिकों का खरबों रूपयों का नुकसान होगा।
यह Open Secret है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री अल्तमश कबीर ने 300 करोड़ रूपये खाकर अपने सेवानिवृत वाले दिन NEET की परीक्षा निरस्त करने का विवादास्पद निर्णय दिया था। सौभाग्य से एक बेहद ईमानदार बैंच ने सभी प्रकार के दबाबों को दरकिनार करते हुए NEET की परीक्षा को बहाल करके न केवल लाखों छात्रों व अभिभावकों को एक ईमानदार परीक्षा का अवसर प्रदान किया है। साथ ही प्राईवेट मेडिकल कालिज में दाखिले के लिए यू.जी. में 30 से 40 लाख और पी.जी. में 1 से 2 करोड़ रूपये जो डोनेशन के रूपमें धन व्यय करना पड़ता था, उससे मुक्त करने का एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान किया ।
कुछ मुख्यमंत्री भी अपने राज्यों में भाषा को छदम ढाल कर NEET-II रद्द करवाने पर तुले हैं, इसका कारण छात्र हित नहीं, बल्कि उनके राज्यों में प्राईवेट मेडिकल कालिजों की लॉबी के हितों में सुरक्षा है। दूसरा कारण यह कि राज्य स्तर की मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में जमकर धांधली होती है और NEET-II होने पर धांधली करने का अवसर वे गंवाना नहीं चाहते।
गौरतलब है कि इंजीनियरिंग IIT लम्बे समय से एकीकृत प्रवेश परीक्षा JEE ले रहे हैं जो सभी राज्य स्वीकार करते हैं क्योंकि प्राईवेट इंजीनियरिंग कालेज में डोनेशन नहीं होने के कारण इसका विरोध करने वाली कोई लॉबी नहीं है।
हम सभी को अपने प्रधानमन्त्री से बहुत उम्मीदें हैं, कि आप ऐसा घोर अन्याय नहीं होने देंगे, परन्तु अफसोस कि आपके सभी मंत्री ईमानदार नहीं हैं। सम्भव है, कि आप के ही कुछ मंत्री और सांसद प्राईवेट मेडिकल कालिज की लॉबी से करोड़ों रूपये खाकर बिक चुके हों और आपको गलत राय दे रहे हों। यदि NEET-II को निरस्त करने का अध्यादेश आता है तो यह न केवल माननीय उच्चतम न्यायालय के बेहद ईमानदार, साहसी व पथ परिवर्तक निर्णय की अवमानना होगी बल्कि शाहबानों प्रकरण में लाये गये अध्यादेश के समान ही आधुनिक भारत के इतिहास में काला धब्बा होगा।
लाखों छात्र व अभिभावक व देश की करोड़ों जता मोदी सरकार को NEET-II को निरस्त करने के लिए लाये गये अध्यादेश के लिए कभी क्षमा नहीं करेगी।
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