रियो ओलम्पिक में 130 करोड़ जनसंख्या वाला देश मेडल के लिए तरस रहा है, देश की जनता तरह तरह की 
बातें कर रही हैं, खिलाड़ियों पर तंज कसे जा रहे हैं, लेकिन कोई भी बड़ी हस्ती, नेता, कलाकार अपने बच्चों को ओलम्पिक खेलों के लिए तैयार नहीं करते, क्योंकि उसमे कड़ी महनत  की जरुरत होती है, हमारे देश के लोगों को कुर्सी वाली नौकरी चाहिए, डॉक्टर, इंजिनीयर, आई एस ऑफिसर बनाने के लिए हर कोई आतुर है, लेकिन खेलों में क्रिकेट के इलावा किसी  और खेल में भविष्य बनाना उनकी साख पर बट्टा लगा सकता है, पैसे वाले लोग क्या कुश्ती लड़ेंगे, क्या जिम्नास्टिक सीखेंगे, क्या तैराकी में मेहनत करेंगे, उधर गरीब लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं है अगर वो चाहे भी तो एक अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए उसे बहुत सी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है , हमारी सरकार, नेता और खेल मंत्रालय के अधिकारी भी इस पर गंभीर दिखाई नहीं देते, आज तक न्यूज़ के मुताबिक़ जितना खर्च खेल मंत्रालय के मंत्रियों और अधिकारियों पर आता है उसका एक तिहाई भी खिलाड़ियों तक नहीं पहुँच पाता। 

अब आप ही सोंचे मेडल कैसे जीता जाए - क्या आप अपने बच्चों को ओलम्पिक खेलों के लिए तैयार करेंगे? या सिर्फ उन खिलाड़ियों ही कोसते रहेंगे जो अपनी महनत के बल पर आगे बढे हैं।


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