आजकल किसी भी सरकारी प्रमाण पत्र को बनाने के लिए जनता इधर- उधर भटकना पड़ता है। कोई नया बनवाना हो या पुराने मे कुछ नाम-पता आदि बदलवाना हो, लोगो के पसीने छूट जाते हैं। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर जनता इतनी परेशान हो चुकी है की सरकारी दफ़्तरों मे जाना भी नहीं चाहती। 

किसी भी सरकारी दफ्तर में प्रमाण पत्र के बनाने के लिये क्या- क्या डॉक्युमेंट्स लगतें  है या कितने पैसे लगतें है कही नहीं लिखा होता। और ना ही कोई कर्मचारी सही से बताने को तैयार है। लोग दलालों के चुंगुल मे फसने को मज़बूर है।

दूसरी तरफ पासपोर्ट बनवाने में टेक्नोलॉजी के प्रयोग से सभी दलाली बन्द हो रही है।  लोग घर बैठे  पासपोर्ट का अवेदन करते है -समय और तारीख लेते है और आराम से अपना पासपोर्ट बनवा रहे हैँ।  
टेक्नोलॉजी के युग मे भी ये सब हो रहा है तो सभी सरकारी दस्तावेजों मे ऎसा क्यो नहीं हो सकता ? क्यों नेता सरकारी अधिकारी इसके लिये कदम नही उठाए रहे ? क्या दलालो से सांठ-गाँठ के कारण ये सब सुविधाये जनता को नही दी जा रही।
क्या उत्तराखंड और दूसरे राज्यों मे भी एक हेल्प लाइन नम्बर की शुरुवात नहीं की जा सकती जिस पर सभी जानकारी जनता को मिल सके ?