सरकारी स्कूलों में आज कोई भी अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहता। क्योंकि वहां की शिक्षा व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। वहां के पढ़े हुए बच्चों का भविष्य भी अन्धकार में दिखाई देता है। इसके जिम्मेदार बहुत से नेता ही है क्योंकि बड़े बड़े नेताओं ने ही अपने स्कूल-कॉलेज खोले हुए है। और उनका शिक्षा का धंधा जोर-शोर से चल रहा है। और वो नेता सरकारी स्कूलों की दशा सुधारकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी  कभी नहीं चलायंगे । 

काशीपुर और उत्तराखंड में भी बहुत से ऐसा नेता है जिनका शिक्षा का धंधा कई सालों से फल फूल रहा है। और उन नेताओ ने कभी सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।