
60 वर्षीय कैलाश सत्यार्थी देश के पांचवे और शांति पुरुस्कार प्राप्त करने वाले दूसरे सम्मानित व्यक्ति है | आज तक नोबेल की सलेक्ट कमेटी द्वारा चुने उम्मीदवार उनकी नजरो से ओझल हो पाया हो लेकिन
तभी तो शांति का पुरुस्कार प्राप्त करने वाले कैलाश भारत सरकार से आज तक किसी भी पुरुस्कार से वंचित रहे |इसे ही कहते है चिराग तले अंधेरा | दूसरी ओर पूरी दुनिया को अहिंसा का रास्ता दिखाने वाले महात्मा
गांधी भी आज
तक यह सम्मान पाने से वंचित रहे |इस बार 270 आवेदन भेजे गए| 10 दिसम्बर को
स्वीडन मे शांति पुरुस्कार संयुक्त रूप से कैलाश ओर मलाला को दिया जाएगा
,जिसकी राशि 6.6 करोड़ रूपए होगी जो बराबर राशि के रूप मे दी जायगी।
बचपन
बचाओ आंदोलन के जरिए इस गैर सरकारी संगठ न एन जी ओ ने दुनिया के करीब 145 देशो मे
अपनी उपस्थिति दर्ज करायी और 85 हजार बच्चो को बालश्रम और तस्करी से मुक्त
कराया है | बेबस , बेसहारा बच्चो और उनके बिखरे सपनो को सवारने का कार्य
करते हुए बाल श्रम के प्रति समाज की मानसिकता को बदलने की कठिन चुनौतियों का सामना कैलाश ने किया | तस्करो , माफियाओं के खतरनाक हमले भी कैलाश सहित उनके संगठन के कई लोगो पर किए गए जिसमे कई लोगो ने जान गवाई| कैलाश ने यह
पुरुस्कार 125 करोड़ भारतीयों व गुलामी की जंजीरो मे जकड़े बच्चो का सम्मान
बताया | इनका प्रयासः करीब 35 सालो से चल रहा है | इसी प्रकार पाकिस्तान की 17 साल की मलाला को यह पुरुस्कार लड़कियो को पढ़ाने की पैरवी करने पर दिया
जायगा ,जिसके लिए तालिबान से हमले भी हुए | दिलचस्प बात यह है ,शांति का संयुक्त पुरुस्कार भारत और
पाकिस्तान को दिया जा रहा है जिनके बीच कई दिनों से एक -दूसरे पर गोली , बमो
से हमले जारी है |
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