मकर सक्रांति श्री सूर्यदेव के अगवानी का पर्व है। क्योंकि इस दिन से सूर्य का उत्तरायण प्रारम्भ हो जाता है। कर्क सक्रांति के समय सूर्य का रथ दक्षिण की ओर मुड़ जाता है। अर्थात सूर्य का मुख दक्षित की ओर तथा पीठ हमारी ओर होती है परन्तु मकर सक्रांति के दिन सूर्य का रथ उत्तर की ओर मुड़ता है अर्थात सूर्य भगवान पृथ्वी के अत्यधिक निकट होते हैं। अतः इस दिन सूर्य की अगवानी में सूर्य दर्शनपूजन का विधान है। मकर सक्रांति अयन सक्रांति कहलाती है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के मकर राशि में संक्रमण के कारण ही यह मकर सक्रांति कहलाती है। सूर्य को सक्रांति का देवता व संससार की आत्मा कहा गया है। यह पर्व सूर्य उपासना से जुड़ा हुआ एकमात्र पर्व है। इस दिन सूर्य देव को पिय्र अन्न खिचड़ी तथा तिलगुड़ चढ़ाई जाती है। तिलगुड़ में तिल स्नेह का एवं गुड़ मिठास का प्रतीक होता है। सर्दी के मौसम में शीत से उत्पन्न शारीरिक बीमारियों से बचने का आयुर्वेदिक तोड़ तिलगुड़ है। मान्यता है कि, मकर सक्रांति पर किये गये दान का फल सामान्य से कई गुना अधिक होता है


By इनसाइड कवरेज न्यूज़