पत्रकारिता के इतिहास मे
अभी तक शार्ली एब्दों पर सबसे बड़ा कायराना आतंकी हमला था, जिसे पूरी दुनिया ने एक
स्वर मे निंदा की और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर भी हमला बताया | हमले के बाद आतंक की
गोली से ज्यादा ताकतवर कलम का ही करिश्मा था कि हमले के बाद शार्ली एब्दों का पहला
अंक खरीदने के लिय पत्रिका की प्रतियाँ बाज़ार से गायब हो चुकी थी, यानि ५० हजार प्रतियाँ
छपने वाली शार्ली एब्दों ने करीब ५० लाख प्रतियों की बिक्री का भी नया रिकॉर्ड बनाया | आज मीडिया खासकर भारत
का इलोक्ट्रोनिक मीडिया और प्रिंट ने इस खबर को मसाला ज्यादा समझा जो उनकी
नज़र मे जायदा कीमत का नहीं रहा | ऐसा
हादसा कभी भी किसी के साथ न हो लेकिन पत्रकारिता पर हमलो मे तेजी आती जा रही है
जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती | जिस प्रकार आज समाचार सिर्फ सनसनी पैदा करने का
साधन बन चुकी हो ,पेड न्यूज़ और विज्ञापन चैनल या विज़ापन पत्र बन चुके हो ,एसे मे शार्ली
एब्दों की गंभीरता को कौन लेगा शार्ली एब्दों के हमलो के विरोध मे लाखो लोग श्रद्धांजली देने एकत्र हुए थे जो आतंक को नसीहत और यूनिटी
का पैगाम देने आये थे | जिहादी आतंक का साया
उसकी अपनी नस्ल के लिये घातक
हो सकता है, परन्तु एसे आतंकी हरकतों के अंजामो से अभीव्यक्ति
की आज़ादी को कुचला नहीं जा सका न जा सकता | शार्ली
एब्दों के उन वीर–जुझारू पत्रकारों को हम सभी की श्रद्धांजली .
By इनसाइड कवरेज न्यूज़
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