-:स्वाइन फ्लू के कारण:-
इंफ्लूएंजा ए वायरस के एक प्रकार एच-1-एन-1‘ के इंसान संस्करण द्वारा स्वाइन फ्लू उत्पन्न होता है। यह वायरस साधारण फ्लू के वायरस की ही फैलता है। जब कोई खांसता या छींकता है, तो छोटी बून्दे थोडे समय के लिए हवा में फैल जाती हैं, छोटी बून्दो में से निकले वायरस कठोर सतह पर आ जाते हैं। यदि आप इन संक्रमित बून्दो के बीच सांस लेते हैं, या आप इस संक्रमित सतह को छूते हैं, तो आप इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि इस नए वायरस के प्रति अधिकतर लोगों में प्रतिरोधक क्षमता की कमी है, इसीलिए जब वे वायरस के संसर्ग में आते हैं, तो स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने का खतरा अधिक रह्ता है।


स्वाइन फ्लू का वायरस बेहद संक्रामक है और एक इंसान से दूसरे इंसान तक बहुत तेज़ी से फैलता है।  जब कोई खांसता या छींकता है, तो छोटी बून्दो में से निकले वायरस कठोर सतह पर आ जाते हैं। जिस पर ये वायरस 24 घंटो तक जीवित रह सकते हैं । आप इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, यदि आप इन संक्रमित बून्दो के बीच सांस लेते हैं। बून्द करीब एक मीटर (3 फीट) तक पहुंचती है। जब कोई खांसता या छींकता है, तो छोटी बून्दे थोडे समय के लिए हवा में फैल जाती हैं और बाद में किसी सतह पर बैठ जाती है। हवा में फैली हुई बूंदे किसी भी इंसान को संक्रमित कर सकती हैं, यदि वह संक्रमित बूंदो को अपनी सांस के भीतर लेता है।  

साधारण वस्तुएं जैसे कि दरवाजों के हैंडल, रिमोट कंट्रोल, हैण्ड रैल्स, तकिए, कम्प्युटर का कीबोर्ड जैसी चीजों के बाह्य भाग संक्रमित बून्द में स्थित वायरस से संक्रमित हो सकती हैं। यदि कोई व्यक्ति इन सतहों को छूता है, और संक्रमित हाथों को अपने मुंह या नाक में रखता है, तो वह स्वाइन फ्लु से संक्रमित हो सकता है।  यदि बून्दे किसी कठोर सतह पर बैठती हैं, तो वायरस करीब 24 घंटों तक जीवित रह सकता है, और यदि किसी कोमल सतह पर बैठती हैं, तो वायरस करीब 20 मिनट तक जीवित रह सकता है।

              -:लक्षण:-
स्वाइन फ्लू के लक्षण आमतौर पर सामान्य फ्लू जैसे ही होते हैं। लेकिन, इन लक्षणों में मौजूद जरा से फर्क को आप पहचान पायें, तो आप परेशानियों से बच सकते हैं। आरंभिक दौर में इस बीमारी के लक्षणों का पहचानने से कई संभावित खतरों को कम किया जा सकता है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण
बुखार या बढ़ा हुआ तापमान (38°C/100.4°F से अधिक)
अत्यधिक थकान
सिरदर्द
ठण्ड लगना या नाक निरंतर बहना
गले में खराश
कफ
सांस लेने में तकलीफ
भूख कम लगना
मांसपेशियों में बेहद दर्द
पेट खराब होना, जैसे कि उल्टी या दस्त होना
एक ऐसा व्यक्ति जिसे बुखार या तापमान ( 38°C/100.4°F से अधिक ) तक हो, और उपर बताये गए लक्षणों में से दो या दो से अधिक लक्षण दिखाई दे रहे हों, तो वह व्यक्ति स्वाइन फ्लू से संक्रमित हो सकता है।

कब करें डॉक्‍टर से संपर्क
यदि आपको कोई गंभीर बीमारी है, (जैसे कैंसर, किडनी की गंभीर बीमारी) जो कि आपके प्रतिरक्षा तंत्र को कमज़ोर बनाती हो,
यदि आप गर्भवती हैं,
यदि आपका बीमार बच्चा एक साल से कम उम्र का हो,
यदि आपकी बीमारी अचानक पहले से अधिक गंभीर होने लगी हो,
यदि आपके लक्षण साफ-साफ दिखाई दे रहे हों। या 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हालत में पांच या सात दिनों के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा हो ।

बच्‍चों में ये लक्षण नजर आने पर फौरन डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए - 

बहुत जल्दी जल्दी सांस लेना या सांस लेने में तकलीफ
त्वचा का नीला रंग होना
पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का इस्तेमाल न करना ,
आलसपन
बहुत चिडचिडापन या गोद में पकड़ने पर भी रोना बंद न करें,
फ्लू के जैसे लक्षणों का सुधार के बाद भी फिर से दिखना और बुखार और कफ का और भी बिगडना,
खुजली के साथ बुखार

यदि वयस्कों में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें


बहुत जल्दी जल्दी सांस लेना या सांस लेने में तकलीफ
छाती या पेट में दर्द या भारीपन
चक्कर आना
कुछ न सूझना
लगातार या बेहद उल्टी आना
फ्लू के जैसे लक्षणों का सुधार के बाद भी फिर से दिखना और बुखार और कफ का और भी बिगडना,
 
स्वाइन फ्लू के संक्रमण से पैदा होनेवाली गंभीर स्थिति
किसी भी प्रकार के फ्लू से पैदा होनेवाली सबसे साधारण गंभीर स्थिति श्वास प्रश्वास क्षेत्र का दूसरे दर्जे का जीवाणु संक्रमण है, जैसे कि ब्रांगकाइटस (वायुमार्ग का संक्रमण) या न्यूमोनिया । ये संक्रमण अधिकतर लोगों में प्रतिजैविक (ऐन्टिबाइआटिक) द्वारा पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कभी कभी ये संक्रमण जानलेवा भी बन सकते हैं।
  
संक्रमण की वजह से कई बार टान्सलाइटिस  (तुण्डिका-शोध)  – (टांसिल का संक्रमण) ओटिटिस मीडिआ  -  ( कान में संक्रमण) सेप्टिक शॉक -  (खून का संक्रमण जो कि खून के दबाव को नीचे गिराने का कारण बनता है. और ये जानलेवा भी साबित हो सकता है।) मस्तिष्क ज्वर  -  (  दिमाग और रीढ की हड्डी को ढंकने वाली झिल्ली का संक्रमण) और एन्सेफलाइटस -  (मस्तिष्ककोप) – (मस्तिष्क में जलन या सूजन) जैसी समस्‍यायें भी हो सकती हैं। हालांकि इनकी संभावना बहुत कम होती है।


                -:बचाव:-
स्‍वाइन फ्लू से बचना है तो अपने घर से लेकर आफिस तक कुछ सावधानियां अपनायें। कार्यालय में स्‍वाइन फ्लू से बचाव के लिए कुछ खास बातों पर ध्‍यान ज़रूर दें।

हर कर्मचारी में संक्रमण से बचाव के लिए सिर्फ टीकाकरण पर ही भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह शायद स्वाइन फ्लू के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। आपके कार्यालय प्रबंधन को स्वाइन फ्लू के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कुछ अतिरिक्त कदम उठाने होंगे । बास को एक लिखित और स्थान के अनुसार संक्रमण नियंत्रण योजना को लागू करना होगा । इस कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित बातों का समावेश होना चाहिए -
 


•    कर्मचारियों में स्वाइन फ्लू का खतरा
•    टीकाकरण और दवा आकलन
•    सुरक्षित और स्वच्छ कार्यस्थल
•    कार्यस्थल को और सुरक्षित बनाने के लिए बदलाव
•    मेडिकल लीव पॉलिसी
•    कार्यस्थल को स्वच्छ और किटाणुरहित रखना
•    संक्रमित कर्मचारी की पह्चान और उसको सबसे अलग रखना ।

टीका लगवाएं - स्वाइन फ्लू का टीका अवश्य लगवाए, जैसे ही टीका उपलब्ध हो, क्योंकि एच-1-एन-1 संक्रमण से बचाव के लिए यह सबसे बढ़िया रास्ता है ।
 

कार्यस्थल को सुरक्षित और स्वच्छ रखने के लिए कुछ सुझाव
•    अपने हाथों को हमेशा साबुन और पानी से करीब 20 सेकड तक धोएं। ये कई तरह के सामान्य संक्रमणों को रोकने के लिए सबसे बढ़िया उपाय है। यदि ये उपलब्ध नहीं है, तो हाथों को धोने के लिए एक अल्कोहल युक्त सेनिटाइजर का प्रयोग किया जा सकता है।
•    खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को ढंकने के लिए रूमाल या टिश्यू पेपर का प्रयोग करना चाहिए। यदि टिश्यू पेपर नहीं है, तो अपनी कोहनी को मुंह के आगे रखकर खांसना या छींकना चाहिए ।
•    यदि संभव हो तो अपने सह्कर्मी या ग्राहक आदि से करीब 6 फीट की दूरी बनाए रखें।

•    अपने सह्कर्मी के साथ मेज या ऑफिस के सामान नहीं बांटना चाहिए।  

              -:चिकित्सा:-
हर बीमारी का इलाज संभव है जरूरत है उसे सही समय पर खोजने की। स्वाइन फ्लू के टीके की जहां कुछ समय पहले तक खोजबीन की जा रही थी वहीं आज इसका इस्तेमाल सफलतम रूप में किया जा रहा है। वर्तमान में एच1एन1 फ्लू से बचाव संभव है। यदि हम थोडी सी सावधानी बरते तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। फिर भी इस बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो घबराएं नहीं क्योकि अब स्वाइन फ्लू वैक्सीन मौजूद है। आइए जानते हैं स्वाइन फ्लू टीके के बारे में।
टीकाकरण के माध्यम से H1N1 स्वाइन फ्लू संक्रमण से बचा जा सकता है। लेकिन साधारण फ्लू वैक्सीन से स्वाइन फ्लू का बचाव संभव नहीं है।
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए नैसोवैक नाम का टीका है जो नाक से लिया जाने वाला देसी टीका है। नैसोवैक नाम के इस टीके की 0.5 मि.ली. की एक बूंद एक से दो साल तक व्यक्ति की एच1 एन 1 वायरस से रक्षा करेगी।

 
हालांकि यह टीका कुछ खास वर्ग जैसे गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर अधिक असर नहीं करेगा जिनमें एच1एन1 से संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। फिर भी फ्लू टीके को लेना आसान है और तीन साल से ऊपर के बच्चों और बड़े-बूढ़ों के लिए खास तौर पर उपयोगी है।

 
गौरतलब है कि नैसोवैक भारतीय वैज्ञानिकों के लंबे रिसर्च और कड़ी मेहनत का परिणाम है। यह टीका न सिर्फ कारगर है बल्कि इसके कोई अतिरिक्त प्रभाव भी नहीं पड़ेंगे।
इसके अलावा स्वाइन फ्लू वैक्सीन निरोधी सूई वाला टीका भी आया लेकिन यह बहुत ज्यादा असरकारक नहीं रहा।

 
स्वाइन फ्लू के बचाव के लिए एक और स्वाइन फ्लू वैक्सीन बनाई गई है जिसका नाम है एचएनवैक ब्रांड। कई परीक्षणों के बाद इस टीके को भी सुरक्षित और उपचार के लिए उपयोगी पाया गया है।

 
स्वाइन फ्लू वैक्सीन में एक नाम वैक्सीफ्लू-एस का भी है हालांकि इस पर अभी परीक्षण जारी है। इसे देसी इन्फ्लूएंजा टीका कहा गया है यह भी स्वाइन फ्लू नियंञित करने में अहम टीका है। हालांकि इस टीके का इस्तेमाल 18 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए है लेकिन बच्चों  के लिए अभी इसका गहन निरीक्षण जारी है।

स्वाइन फ्लू जैसी महामारी को जड़ से मिटाने के लिए और भी कई टीके ईजाद किए जा रहे हैं लेकिन अभी उनके आने में देर है।
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