दिनांक 17 एवं 18 मई, 2015 को अध्यक्ष, श्री अशोक बन्सल के नेतृत्व में कुमायूं गढ़वाल चैम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (केजीसीसीआई) के प्रतिनिधिमण्डल की डाॅ0 (श्रीमती) इन्दिरा हृदयेश, माननीया मन्त्री, वित्त, औद्योगिक विकास, वाणिज्य कर, स्टाम्प एवं निबंधन, मनोरंजन कर, संसदीय कार्य, विधायी, निर्वाचन, जनगणना, भाषा व प्रोटोकाॅल, उत्तराखण्ड सरकार के साथ उनके देहरादून में दो दौर की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में माननीया मन्त्री जी द्वारा उद्योगों से सम्बन्धित मुख्य बिन्दुओं पर विचार-विमर्श हेतु अपर मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास श्री राकेश शर्मा, वाणिज्य कर आयुक्त श्री दिलीप जावलकर, अपर वाणिज्य कर आयुक्त श्री पीयूष कुमार, सिडकुल के महाप्रबन्धक श्री एस एल सेमवाल, पन्तनगर के रीजनल मैनेजर श्री जी पी दुर्गापाल एवं श्री वाई.एस. पुण्डीर को भी आमन्त्रित किया गया था।

चैम्बर के प्रतिनिधिमण्डल द्वारा डाॅ0 (श्रीमती) इन्दिरा हृदयेश, श्री राकेश शर्मा के समक्ष उत्तराखण्ड में उद्योगों की स्थापनार्थ क्रय की जाने वाली भूमि के सर्किल रेटों में अत्यधिक वृद्धि किए जाने से नये स्थापित होने वाले उद्योगों पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव से अवगत कराया व उद्योगों में पावर कट के कारण होने वाली परेशानियों, प्रदेश में उत्पादित नये उत्पादों को वैट की सूची में शामिल किये जाने, उत्तराखण्ड मूल्य वर्धित कर अधिनियम में फार्म-11 के विरुद्ध 2 प्रतिशत से 3 प्रतिशत शुल्क बढ़ाये जान से पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के संबंध में, व्यापार कर की पुरानी बकाया के समापन एवं ब्याज/अर्थदण्ड माफी योजना ‘‘वन टाईम सैटलमेण्ट स्कीम’’ लागू किये जाने, उद्योगों के विस्तार हेतु कवर्ड एरिया बढ़ाये जाने, रूद्रपुर-रामपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-87 का यथाशीघ्र पुनर्निर्माण कराये जाने, एकीकृत औद्योगिक आस्थान पन्तनगर में पार्किंग व्यवस्था, सिडकुल में स्थित उद्योगों द्वारा बैंक चैंज करने हेतु बार-बार एनओसी लिये जाने की बाध्यता खत्म किये जाने तथा रूदपुर में ई.एस.आई. अस्पताल का निर्माण यथाशीघ्र कराये जाने आदि बिन्दुओं के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया।

बैठक के दौरान माननीया मन्त्री जी एवं श्री राकेश शर्मा द्वारा प्रतिनिधिमण्डल को आश्वस्त किया गया कि राज्य के औद्योगिक विकास को ध्यान में रखते हुए जमीनों के सर्किल रेट तर्कसंगत बनाये जाने का पूरा प्रयास किया जायेगा। सरकार हर स्तर पर प्रयासरत है कि किसी भी स्थिति में राज्य में नये उद्योगों की स्थापना पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े। सरकार राज्य में नया पूंजी निवेश आकर्षित करने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही हैे। इसके लिए माननीय मुख्यमन्त्री, श्री हरीश रावत जी उद्योगों को निर्बाध विद्युतापूर्ति सुनिश्चित कराये जाने के लिए निरन्तर प्रयासरत हैं। उन्होंने अवगत कराया कि 1 जुलाई, 2015 से निर्बाध विद्युतापूर्ति का निर्णय हो चुका है, अब पावर कट की कोई समस्या नहीं रहेगी। उत्तराखण्ड मूल्य वर्धित कर अधिनियम में उद्योगों को फार्म-11 पर 2 प्रतिशत के स्थान पर 3 प्रतिशत शुल्क लिए जाने से उद्योगों पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों को ध्यान में रखते हुए इसे यथावत रखे जाने हेतु सहमति व्यक्त की गयी। व्यापार कर की पुरानी बकाया के समापन एवं ब्याज/अर्थदण्ड माफी योजना ‘‘वन टाईम सैटलमेण्ट स्कीम’’ के सम्बन्ध में जुलाई, 2015 से योजना लागू कराने का आश्वासन दिया गया। राज्य की औद्योगिक इकाईयों में उत्पादित ऐसे उत्पाद जिनके नाम वैट की सूची में शामिल नहीं हैं, वैट की वर्गीकृत सूची में यथाशीघ्र शामिल करा दिये जायेंगे। उनके द्वारा सिडकुल में स्थापित इकाईयों को बैंक चेन्ज करने हेतु बार-बार ली जाने वाली एनओसी की बाध्यता समाप्त करने हेतु अपनी सहमति दी गयी। सिडकुल के उद्योगों के विस्तार हेतु कवर्ड एरिया का अनुपात बढ़ाये जाने को उद्योग हित एवं रोजगार सृजन में कारगर मानते हुए सहमति व्यक्त की गयी। रूद्रपुर-रामपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-87 का पुनर्निर्माण यथाशीघ्र सम्पन्न कराये जाने हेतु केन्द्र स्तर पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया।  उन्होंने सिडकुल, पन्तनगर में पार्किंग की यथाशीघ्र व्यवस्था कराने एवं रूद्रपुर में ईएसआई अस्पताल के निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर कराकर अतिशीघ्र निर्माण कार्य शुरु कराये जाने का भी आश्वासन दिया।

उद्योगों की समस्याओं को दूर करने हेतु किये गये ठोस एवं सकारात्मक प्रयासों के लिए प्रतिनिधिमण्डल द्वारा डाॅ0 इन्दिरा हृदयेश के प्रति आभार प्रकट किया गया और आशा व्यक्त की गयी कि माननीया मन्त्री जी के सकारात्मक रुख से उत्तराखण्ड के अवरुद्ध औद्योगिक विकास को एक नई दिशा मिलेगी।

केजीसीसीआई के प्रतिनिधिमण्डल में अध्यक्ष श्री अशोक बन्सल के साथ वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री आलोक कुमार गोयल, निवर्तमान अध्यक्ष श्री विकास जिन्दल, पूर्व अध्यक्ष श्री दरबारा सिंह इत्यादि सम्मिलित थे।
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