लोकतंत्र के मंदिर में आजकल लोगों के लिए नहीं सत्ता के लिए लड़ाई की जा रही है, एक दुसरे को नीचा दिखाने के लिए कोंग्रेस और बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ रही है, जनता की भलाई के लिए कोई कानून पास हो इससे उन्हें कोई लेना देना नहीं है, सांसदों को तो उनकी सेलरी मिल ही रही है , और 118 करोड़ रुपये मानसून सत्र पर बर्बाद हो रहे हैं लेकिन  किसी को कोई दर्द नहीं है , अगर यही पैसा इन सांसदों को अपने पल्ले से देना पड़ जाये तो देखो क्या होता है ?
संसद ना चलने के लिए पार्टियाँ एक दूसरे को दोष दे रही हैं लेकिन इसका फैसला कैसा हो की कौन दोषी है , इसका हल जल्द ही निकालना होगा नहीं तो सत्ता के लालची नेता जनता के पैसो को युहीं बर्बाद करते रहेंगे . क्यों ना समाज सेवी लोग और संगठन देश में जगह जगह जाये और जनता से पूछे की संसद न चलाने के लिए कौन दोषी है , मीडिया वालों को भी इसके लिए सर्वे करवाने चाहिए और जो पार्टी या नेता  दोषी निकलते हैं उनका चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध लागा देना चाहिए ,
 
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