रूद्रपुर/पंतनगर 18 दिसम्बर-राज्यपाल डाॅ0 केके पाल ने आज पंतनगर में डा0 रतन सिंह आडिटोरियम में पी0एचडी चैम्बर आफ कामर्स एवं जिला प्रशासन के तत्वाधान में स्किलिंग उत्तराखण्ड विश्व  प्रतिस्पर्धा विषयक पर आयोजित सेमिनार का वतौर मुख्य अतिथि दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। 
 
राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि कौशल विकास के इस तरीके के कार्यक्रम पीएचडी कामर्स की अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि चैम्बर्स द्वारा प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में कौशल विकास के लिये चयनित करना होगा । उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवाओं ने जो शिक्षा अर्जित की है उसे संवारने की आवष्यकता है ताकि वह स्वंय अपने विवेक से स्वरोजगार अपनाकर आत्म निर्भर हो सकें।उन्होंने यहां के युवा काफी मेहनती है उनमें हर क्षेत्र में आगे बढने की अपार सम्भावनायें है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में मानव संसाधन के कौशल विकास की नितान्त आवष्यकता है। राज्य के चहुमुखी विकास के लिये इंटरप्रियोन्योर एवं कौशल विकास में सामनजस्य आवष्यक है ताकि यहां के लोगोे को और अधिक रोजगार मिले और पलायन रूक सकें। उन्होने कहा कि राज्य में बेरोजगारी के निदान के लिये उद्योगों की मुख्य भूमिका है । उन्होंने स्पष्ट  किया कि आय के संसाधन बढाने हेतू जरूरी नही है कि रोजगार दिया जाय बल्कि रोजगार के अवसर बढाये जाय। राज्यपाल ने उत्पादकता बढाने के लिये कोैशल विकास पर जोर दिया। उन्होंने विकसित देश जापान का जिक्र करते हुये कहा कि जापान लोहे में नही बल्कि स्टील में अग्रणी है जापान की ए0सी0 व स्टीरियों कारें प्रथम नम्बर पर है । जापानी इसलिये प्रथम है क्योकि वहां के उद्यमी कार्यकुशलता में माहिर है । उन्होंने कहा कि कोशल विकास की परिकल्पना से ही कोई भी राष्ट्र  विकसित बन सकता है । उन्होंने कहा कि श्रमिकों में कोैषल विकास की त्वरित गति प्रदान करनी होगी तथा कोैषल विकास के साथ ही ज्ञान के उपयोग हेतु रेाड मैप तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि आज हमारी शिक्षा भी परीक्षा देने तक सीमित रह गई जबकि आज जरूरत है कि विद्यार्थियों के अन्दर विचारशीलता बढाने के साथ ही उनमें अभिनव क्षमता भी विकसित की जाय। उन्होंने चैम्बर का आहवान किया कि  इस तरह के सेमिनार 
शैक्षिणिक संस्थानों में चलाये जाय तथा उद्यमियों को सामाजिक दायित्वों को ध्यान रखते हुये शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करना होगा। उन्होंने चैम्बर की गतिविधियों को बढावा देने के लिये ब्लाक स्तर व जिला स्तर पर संवाद स्थापित कराना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि उद्योग यहां पर स्थापित प्रशिक्षण संस्थानों से भी सामनजस्य बनाकर अपना समाजिक दायित्व पूरा कर सकते है । 
 
स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि चैम्बर ने स्किल डवलपमेंट  पर गोश्ठी आयेाजित कर अभिनव प्रयास किया है जो सराहनीय है। उन्होंने कहा कि यदि चैम्बर इस ओर गंभीरता से विचार करें तो हमारें प्रदेश के 60 प्रतिशत युवाओं का भविश्य संवर सकता है । उन्होंने कहा कि चैम्बर के इस प्रकार के सेमिनार कान्फ्रेंस हाल तक ही सीमित न रहे बल्कि चैम्बर्स की योजनाओं का लाभ शिक्षित युवाओ को मिले लिहाजा प्रदेश के विकास खण्ड स्तर पर इस तरह की गोश्ठियों आयोजित कर युवाओं को जागरूक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में मानव संसाधन कोैशल विकास में दक्ष किये जाने की आवष्यकता है जिसमें उद्यमियों की मुख्य भूमिका होगी। श्री नेगी ने चैम्बर एवं जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता के सहयोग से आयोजित कराई गई गोश्ठी के लिये सराहना की तथा कहा कि यह अच्छी पहल है जिससे क्षेत्र के युवाओं को अवष्य लाभ मिलेगा। उन्होंने जिलाधिकारी से कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम जनपद के विकास खण्डों में चैम्बर के सहयोग से आयोजित कर युवाओं को लाभान्वित करायें। उन्होंने कुलपति डाॅ0 मंगला राय से भी कहा कि कृशि विष्व विद्यालय में भी कौषल विकास के कार्यक्रम सम्पन्न करायें ताकि युवाओं को लाभ मिल सकें। 
 
      श्रम एवं दुग्ध विकास मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल ने कहा कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां भिन्न है । पर्वतीय क्षेत्रों से युवाओं का पलायन रोकने के लिये स्किलिंग डवलवमेंट के जरिये यहा के युवाओं एवं महिला शक्ति को रोजगार के क्षेत्र में नई दिशा  मिल सकती है । उन्होंने कहा कि सरकार भी स्किलिंग डवलपमेंट पर फोकस किये हुये  है जिसके जरिये यहां के छोटे तकनीकी संस्थानों व लघु उद्यमियों को भी बल मिलेगा। उन्होंने पर्वतीय फलों,सब्जियों एवं फूलों के उत्पाद को बढावा देने के साथ ही सोयाबीन की खेती को भी अपनानी होगी। उन्होंने कहा कि चैम्बर्स व जिलाधिकारी के प्रयासों से यहां के युवाओं को जागरूक करने के लिये यह एक विष्वसनीय कदम है। 
प्रदेश मण्डी परिशद के अध्यक्ष डाॅ0 शैलेन्द्र मोहन सिघल ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में मानव संसाधन के पर्याप्त विकास के लिये स्किलिग डवलपमेंट का विस्तार किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में उत्पादों को पर्याप्त मार्केटिंक मिल जाय तो वहां से पलायन को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि तराई भूभाग में विकास की अपार सम्भावना है यहां चीनी मिलों से निकले बगास व धान के पुवाल का भी स्किल डवलपमेंट के जरिये उपयोग कर रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। हमें जरूरत है ठोस योजनायें बनाकर उन्हें मुकाम तक पहुचाने की। जिसमें चैम्बर अच्छी पहल कर सकता है। 
कुलपति डाॅ0 मंगला राय ने कहा कि आज कृशि को व्यवसाय/रोजगार के रूप में अपनाये जाने की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिये रोजगार के साधन उपलब्ध कराने होगे वहा पर फलोरीकल्चर,मेडिकल प्लान्ट व जैविक खेती को बढावा देकर उत्पादों को उचित माकेंर्टिग देनी होगी। 
पीएचडी चैम्बर के सीनियर सदस्य राजीव घई ने चैम्बर की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रदेश से पलायन को रोकने के लिये सिडकुल के उद्योगों में राज्य के 70 प्रतिशत लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि आज इस बात की आवष्यकता है युवाओं को इस तरह प्रशिक्षित किया है जाय कि उन्हें घर पर ही रोजगार मिल सकता है । उनहोंने युवाओं का ध्यान कृशि,आयुश,पर्यटन की ओर भी आकर्शित किये जाने पर बल दिया । क्योकि पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन,पषुपालन का अपार सम्भावनायें है। 
गोष्ठी में चैम्बर के सदस्य अमित गुप्ता व पवन कुमार ने भी चैम्बर्स के कार्यो पर विस्तार से प्रकाश डाला । सेमिनार में जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता,विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी एवं चैम्बरर्स के अनेक पदाधिकारी व विष्व विद्यालय के अधिकारी मौजूद थें।
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