दिल्ली, संसद का शीत कालीन सत्र समाप्त हो गया है, लेकिन यह असंवेदनशील सांसदों का तमाशा समाप्त लगता है। जनता के करोड़ों रुपये संसद सत्र चलाने  में लगते हैं, लेकिन जनता की भलाई के लिए कानून पास नहीं हुए। देश का विकास राजनीति की वजह से रुका हुआ है, नेताओं को जनता के पैसे की बर्बादी का कोई अफ़सोस नहीं होता। अगर उनके अपने पैसे या अपने परिवार के किसी सदस्य के पैसे ऐसे बर्बाद हो तो वो क्या करेंगे ? क्या उन्हें तब भी दर्द नहीं होगा? अगर सांसद असल में देश की भलाई के लिए सोचते हैं तो उन्हें संसद सत्र समाप्त होने के बाद भी विरोध करना चाहिए ना की तमाशे के लिए। नेता  अनशन पर बैठे या अपने घर से पैसे लगाकार कोई ठोस काम करें, तब होगी देश भक्ति, तब होगा देश का भला।

अब देखते हैं कौनसा नेता देश के प्रति वफादार है, कौन पहेल करता है ? कोंग्रेस के किसी सांसद  में हिम्मत हो तो वो  आगे आयें और अनशन पर बैठ जाये या किसी अन्य पार्टी का कोई बड़ा नेता हो जिसमे दम हो सच्चा देश भक्त बनने का सामने आये और अपनी देश भक्ति का सबूत दिखाए।
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