रुद्रपुर 21 जनवरी - राज्य के संसाधनों में शहरी व ग्रामीण स्थानीय निकायों की हिस्सेदारी के सम्बन्ध में विचार विमर्श हेतु चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की टीम द्वारा जनपद के स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों के साथ दो दिवसीय बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में आज आयोग की टीम ने क्रमशः जिला पंचायत सदस्यों,क्षेत्र पंचायत सदस्यों,ग्राम पंचायत सदस्यों एवं नगर निगम व नगर पंचायत सदस्यों के साथ बैठक कर स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति एवं वित्तीय आवश्कताओं के बारे में चर्चा की। 
चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष प्रो0वीके जोशी ने कहा कि राज्य वित्त आयोग का कार्य राज्य के संसाधनों में शहरी व ग्रामीण स्थानीय निकायों की हिस्सेदारी तय करना है। उन्होने कहा कि अभी आयोग द्वारा हिस्सेदारी तय नही की गई है। इसलिए हिस्सेदारी तय करने से पूर्व स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों से सीधे वार्तालाप कर सुझाव मांगे जा रहे हैं। उन्होने बताया कि अभी तक प्रदेश के चार जिलों में चर्चा की जा चुकी है तथा यह पांचवा जनपद है। उन्होंने कहा कि आगामी माह फरवरी तक प्रदेश के सभी जनपदों के स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा पूरी कर ली जायेगी। इसके बाद ही आयोग राज्य के संसाधनों में स्थानीय निकायों की हिस्सेदारी के सम्बन्ध में अपनी संस्तुति देगा। 
 
     बैठक में जिला पंचायत सदस्यों ने विकास कार्यो हेतु मिलने वाले बजट में वृद्धि करने एवं कार्य विभाजन की मांग की। जिपं सदस्यों ने कहा कि खडन्जा,सीसी मार्ग,नाली निर्माण एवं पुलिया निर्माण आदि विकास की योजनाएं जिपं सदस्यों को सांैपी जाएं तथा छात्रवृत्ति,पेंशन,इन्दिरा आवास आदि जनहित के कार्य ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधानों को सौंपे जाएं। क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने निधि में 10 गुना वृद्धि,सदस्यों के अधिकारों एवं मानदेय में वृद्धि तथा ग्रामों में होने वाले कार्यो का अनुमोदन क्षेत्र पंचायत सदस्यों से भी करवाये जाने,ग्राम एवं शहर के बजट का अनुपात 70:30 करने की बात रखी।
      आयोग के अध्यक्ष श्री जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य का अपना पंचायत विधेयक नहीं है। सरकार आगामी बजट में विधेयक लाने पर विचार कर रही है। उन्होने कहा कि स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधि अपने अधिकारों में वृद्धि किये जाने की मांग विधेयक पारित होने के समय रख सकते हैं। उन्होने कहा कि राज्य का अपना विधेयक पारित होने पर त्रिस्तरीय पंचायतों एवं नगरीय स्थानीय निकायों के कार्यो का विभाजन हो जायेगा। 
     ग्राम प्रधानों ने कहा कि क्षेत्रीय जनता उनसे सीधे सम्पर्क कर अपनी समस्याएं रखती है। इसलिए उनको मिलने वाले बजट को 50 प्रतिशत से बढाकर 70 प्रतिशत कर दिया जाय। उन्होंने आपदा निधि,ग्रामीण क्षेत्रों की गतिविधियों विशेष रूप से खनन व व्यवसाय पर टैक्स लगाने की अनुमति दिये जाने की बात कही।
     बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष ईश्वरी प्रसाद गंगवार,मुख्य विकास अधिकारी डाॅ0आशीष कुमार श्रीवास्तव, चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के सदस्य सीएमएस बिष्ट,अविकल थपलियाल, डीपीआरओ रमेश चन्द्र त्रिपाठी,जिपं सदस्य राजेश कुमार बजाज,देव सिंह,कुसुम देवी,तरक मण्डल,त्रिलोक सिंह,पूनम राणा,ब्लाक प्रमुख दलजीत सिंह,क्षेत्र पंचायत सदस्य जीत सिंह,किशोरी देवी,ब्रिजेश कुमार,हरनाम सिंह राणा,विन्दर कौर,राजेन्द्र सिंह,मीरा देवी,जगजीत सिंह सहित ग्राम प्रधान उपस्थित थे।

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