रुद्रपुर 22 जनवरी - राज्य के संसाधनों में शहरी व ग्रामीण स्थानीय निकायों की हिस्सेदारी तय करने से पूर्व चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की तीन सदस्यीय टीम द्वारा जनपद के स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों के साथ विचार विमर्श हेतु दो दिवसीय बैठकों का आयोजन किया गया। बैठकों के दौर के इस क्रम में आज अन्तिम दिन आयोग की टीम ने क्रमशः नगर पालिका परिषदों के प्रतिनिधियों, नगर पंचायत के प्रतिनिधियों, स्थानीय निकायों के अधिकारियों के अलावा ग्राम्य विकास, पेयजल,ग्रामीण निर्माण, वन विभाग एवं जिला पंचायती राज अधिकारियों एवं  विशेषज्ञों एवं गैर सरकारी व्यक्तियों के साथ स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति एवं वित्तीय आवश्यकताओं के बारे में चर्चा की। बैठक में जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने आयोग के समक्ष सुझाव रखें ताकि स्थानीय निकायों की आय के संसाधनों में वृद्धि के साथ जपनद का पूर्ण विकास हो सके साथ ही अधिकारियों द्वारा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के विकास हेतु संचालित योजनाओं की जानकारी भी दी गई।
 
चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष प्रो0 वीे के जोशी ने कहा कि नगर निगम,नगर पालिका एवं नगर पंचायतों के पास ट्रचिंग ग्राउण्ड व अन्य कार्यों के लिए भूमि नहीं हैं। भूमि की कमी के कारण अनेक विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय सरकारी विभागों से तालमेल बनाये बिना आगे नहीं बढ़ सकते हैं,लिहाजा सरकारी विभाग स्थानीय निकायों से समन्वय बनाकर जनपद के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करें। उन्होंने जिलाधिकारी से शहरी निकायों को वन विभाग से भूमि दिलाये जाने की बात कही। उन्होंने स्थानीय निकायों के अधिकारियों को आय के संसाधनों को बढाने का सुझााव दिया। क्षेत्र पंचायत में विकास कार्याें हेतु मिलने वाली धनराशि के सभी सदस्यों में बराबर-बराबर बांटने की नीति हो गलत ठहराते हुये आयोग के अध्यक्ष ने इस नीति में सुधार लाने की बात कही क्योंकि बराबर धनराशि वितरण की नीति से पिछडे इलाकों का विकास नहीं हो पाता। श्री जोशी ने कहा कि इन दो दिवसीय चर्चाओं के दौरान जो समस्याएं उभरकर आयी है आयोग द्वारा उनके समाधान हेतु प्रयास किये जायेगें। आयोग का यही प्रयास होगा कि राज्य के संसाधनों में शहरी व ग्रामीण स्थानीय निकायों की उचित हिस्सेदारी तय की जाय।  
    आयोग के सदस्य सीएमएस बिष्ट ने कहा कि ग्राम पंचायत जनपद की एक महत्वपूर्ण इकाई है। जनपद में ग्राम पंचायतों की सख्या के आधार पर ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारियों के पदों में वृद्धि किये जाने हेतु शासन को पत्र भेजा जाय। 
     बैठक में जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता ने कहा कि ग्राम पंचायतों एवं शहरी निकायों में महत्वपूर्ण कार्य कराने हेतु जिलाधिकारी के निवर्तन में रिवाल्विगं फंड होना चाहिये। उन्होने कहा कि गांवो में सरकारी विभागों द्वारा जो विकास कार्य करवायें जाते है उनके रखरखाव की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों की होनी चाहिये साथ ही इस हेतु धनराशि की भी व्यवस्था होनी चाहिये। जिलाधिकारी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी मकानों के नक्शे पास कराने के मानक विनियमित क्षेत्र के समान किये जाय। उन्होने कहा कि विकास कार्यो में प्रत्येक कार्य का फण्ड निर्धारित किया जाय ताकि सभी प्रकार के विकास कार्य किये जा सकें। 
     मुख्य विकास अधिकारी डा0 आशीष कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि ग्रामीण स्तर की सभी योजनाओं का अनुमोदन ग्राम पंचायत की खुली बैठकों में किया जाता है। इस हेतु ग्राम पंचायत भवन की आवश्यकता होती है। उन्होने कहा कि जनपद में 102 ग्राम पंचायत भवनों की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुये धनराशि आवंटित की जाय। उन्होने कहा कि जिला पंचायत,क्षेत्र पंचायत एवं ग्राम पंचायत के कार्यो का विभाजन होना चाहिए। 
     बैठक में विधायक शैलेन्द्र मोहन सिंघल,चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के सदस्य अविकल थपियाल व सीएमएस बिष्ट,नगर पालिका अध्यक्ष कांता प्रसाद सागर,पीडी बालकृष्ण,एपीडी रमा गोस्वामी,डीपीआरओ रमेश चन्द्र त्रिपाठी,एआर सहकारिता एमपी त्रिपाठी,मुख्य कृषि अधिकारी पीके सिंह,जिला उद्यान अधिकारी रतन सिंह,जिला कार्यक्रम अधिकारी एके मिश्रा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व नगर पालिका एवं नगर पंचायत के सदस्य उपस्थित थे। 

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