जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दिल्ली हाइकोर्ट ने
6 महीने के लिए अंतरिम ज़मानत ज़रूर दे दी है लेकिन 23 पन्ने के अपने आदेश
में जेएनयू में 9 फ़रवरी को जो कुछ हुआ उस पर कई सवाल खड़े किये हैं। हाई
कोर्ट ने अपने फैसले की शुरुआत की फ़िल्म उपकार के देशभक्ति से जुड़े इस गीत
की इन लाइनो से जिनको लिखा था गीतकार इंदीवर ने...
रंग हरा हरी सिंह नलवे से,
रंग लाल है लाल बहादुर से,
रंग बना बसंती भगत सिंह,
रंग अमन का वीर जवाहर से।
मेरे देश की धरती सोना उगले,
उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती।
रंग लाल है लाल बहादुर से,
रंग बना बसंती भगत सिंह,
रंग अमन का वीर जवाहर से।
मेरे देश की धरती सोना उगले,
उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती।
इसके बाद कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है की
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम देश विरोधी नारे मंज़ूर नहीं किये जा सकते।
- हर किसी को आज़ादी है की वो किसी भी राजनैतिक दल की
विचारधारा से जुड़ा हो सकता है और अपनी बात रख सकता है पर संविधान के दायरे
में रहकर ही।
- जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष होने के नाते कन्हैया कुमार को ये
देखना चाहिए था की ऐसे नारे वहां न लगें और ऐसे कार्यक्रम का आयोजन न हो।
- वहां के शिक्षकों की भी ज़िम्मेदारी है की वो छात्रों को सही गलत की जानकारी दें।
- छात्रों में ऐसी बीमारी फैल रही है की अगर उसको वक़्त रहते न रोका गया तो वो एक महामारी का रूप ले सकती है।
- शरीर के किसी अंग में अगर संक्रमण फैल जाए तो उसके इलाज के
लिए पहले एंटी बायोटिक दी जाती है न सही हो तो ऑपरेशन किया जाता है लेकिन
अगर वो गैंग्रीन बन जाए तो उसको शरीर से काट कर अलग करना पड़ता है।
- जेएनयू ऐसे सुरक्षित कैंपस में जो छात्र अफज़ल गुरु और मक़बूल
भट्ट के नाम पर नारे लगा रहे हैं वो इस वजह से क्योंकि हमारे देश के जवान
सियाचिन और कच्छ के रण मुश्किल हालातों में देश की रक्षा कर रहे हैं, और
अगर ये नारे लगाने वाले उन जगहों पर 1 घंटे भी खड़े नहीं रह सकते।
- ऐसे नारे उन शहीदों का अपमान हैं जो खुद शहीद होकर हमारी
रक्षा करते हैं ये अपमान है उन परिवार वालो का जिनके अपनों के कफ़न में लपटे
शरीर घर वापस लौटते हैं।
- अफज़ल और मक़बूल की फोटो को दिल से लगाकर घूमने वाले ऐसे छात्रों को खुद सोंचना चाहिए की क्या सही है।
- जेएनयू प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए की संसद हमले के
दोषी अफज़ल गुरु की फांसी वाले दिन को उसके शहादत दिवस के तौर पर मनाने और
होने वाले कार्यक्रमों पर रोक लगे और भविष्य में न हों।
कन्हैया कुमार को अंतरिम ज़मानत देते हुए हाइकोर्ट ने लिखा है
की "याचिकाकर्ता एक पढ़ने वाला छात्र है और हम उम्मीद करते है की उसने जेल
में बिताये वक़्त के दौरान जो कुछ जेएनयू में हुआ उस पर सोंचा होगा,
आत्मचिंतन किया होगा। "
"कोर्ट ये भी उम्मीद करता है की जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष होने
के नाते कन्हैया ये सुनिश्चित करेगा की जेएनयू में दोबारा देश विरोधी
गतिविधियां नहीं होंगी।"
हाइकोर्ट ने कन्हैया को अंतरिम राहत भले ही दे दी हो लेकिन
जिस तरह से अपने आदेश में जेएनयू, छात्रों और शिक्षकों को लेकर टिप्पड़ी की
है वो कन्हैया समेत बाकी आरोपियों और जेएनयू को लेकर काफी गंभीर सवाल खड़े
करती है।
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