रुद्रपुर
(पंतनगर) 30 मई- पर्वतीय क्षेत्रों की खाद्य एवं आर्थिक असुरक्षा को देखते
हुए यहां की कृषि से सम्बन्धित प्रमुख समस्याओं पर ध्यान देकर उन्हें दूर
किया जाना आवश्यक है। यह बात उत्तराखण्ड के राज्यपाल, डा. के.के. पॉल ने आज
पंतनगर विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आई.सी.ए.आर.),
नई दिल्ली, की क्षेत्रीय समिति संख्या 1 की 24वीं बैठक का उद्घाटन करते हुए
कही। यह बैठक परिषद् द्वारा पंतनगर में आयोजित की जा रही है, जो
उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू एवं कश्मीर राज्यों के कृषि एवं
सम्बन्धित विषयों की समस्याओं पर शोध एवं विकास के लिए गठित की गयी है।
बैठक के उद्घाटन सत्र में जम्मू एवं कष्मीर के कृषि मंत्री, श्री गुलाम नबी
लोन (हंजूरा); भारत सरकार के सचिव (डेयर) एवं आई.सी.ए.आर. के महानिदेशक,
डा. त्रिलोचन महापात्र; राज्यपाल के सचिव, श्री अरूण कुमार ढौंडियाल;
पंतनगर विष्वविद्यालय के कुलपति, डा. मंगला राय; आई.सी.ए.आर. के
उप-महानिदेषक (औद्यानिकी) एवं इस समिति के नोडल अधिकारी, डा. एन.के. कृष्ण
कुमार; तथा समिति के सदस्य सचिव एवं भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान,
देहरादून के निदेषक, डा. पी.के. मिश्र भी मंच पर उपस्थित थे।
अपने
उद्घाटन सम्बोधन में डा. पॉल ने कहा कि उत्तर-पष्चिमी हिमालय का अत्यंत
क्षरणशील क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता, संवेदनशीलता, वर्षाधीन
कृषि, पहुंच से दूर, इत्यादि विषेषताओं व समस्याओं वाला है। उन्होंने कहा
कि इस क्षेत्र में मिश्रित खेती, स्थान विशेष के अनुसार कृषि पद्धति के
मॉडल, जैविक खेती को अधिक फायदेमंद बनाने, पर्वतीय क्षेत्रों की फसलों हेतु
पंजीकृत बीज एवं पौध, जंगली जानवरों की समस्याओं से निपटने, श्रम को कम
करने वाले कृषि यंत्रों का विकास, किसानों को बाजार से जोड़कर उन्हें उनके
विशेष उत्पादों पर अधिक मुनाफा दिलवाने जैसे बिन्दुओं पर इस समिति द्वारा
शोध के बिन्दुओं को उजागर करना आवष्यक होगा। डा. पॉल ने प्रसंता व्यक्त
करते हुए कहा कि यह समिति आई.सी.ए.आर. के शोध संस्थानों, राज्य के कृषि
विश्वविद्यालयों एवं भारत सरकार व राज्य सरकारों के रेखीय विभागों के बीच
समन्वय एवं आपसी वार्तालाप स्थापित कर कृषि औद्यानिकी, पशुपालन, मछली पालन,
इत्यादि विषयों पर शोध एवं विकास की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाती है। उन्होंने आशा प्रकट की कि यह समिति इस बैठक में गहन
विचार-विमर्श कर इस क्षेत्र की कृषि के टिकाऊ एवं लम्बी अवधि के विकास हेतु
उचित रणनीति तैयार करेगी।
इस
अवसर पर बोलते हुए गुलाम नबी लोन ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के विषेष
उत्पाद जैसे सुगन्धित चावल, केसर, राजमा, पशमीना भेड़, औद्यानिकी उत्पाद,
इत्यादि वहां की कृषि को अधिक लाभप्रद बनाने में सहायक हैं, जिनपर और अधिक
शोध की आवष्यकता है, ताकि किसान सरकार पर निर्भर न रहकर आत्मनिर्भर हो
सकें। साथ ही वर्षाधीन एवं वातावरण के अनुकूल प्रजातियों की उपलब्धता बढ़ाने
एवं कृषि के समन्वित विकास की आवष्यकता भी उन्होंने बतायी। केन्द्र सरकार
से अधिक सहायता की भी उन्होंने अपेक्षा की।
महानिदेशक, डा.
महापात्र ने कहा कि ऐसी समितियों के द्वारा भारत सरकार एवं आई.सी.ए.आर.
राज्य सरकार के द्वार पर पहुंच कर राज्यों की कृषि एवं सम्बन्धित विषयों के
विकास में आ रही कठिनाईयों को समझने तथा उन पर शोध कर उन्हें दूर करने की
कवादत करती है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बहुत अधिक सम्भावनाएं
उपस्थित हैं, किन्तु साथ ही अनेक चुनौतियां भी हैं, जिनका वर्णन करते हुए
उन्होंने इन पर शोध कर किसानों को बाजार से जोड़ने तथा बीज एवं पौध उपलब्ध
कराने जैसी मूल-भूत आवष्यकताओं को पूरा करने की ओर कार्य किये जाने की बात
कही।
डा. कृष्ण
कुमार ने इस अवसर पर आई.सी.ए.आर. द्वारा गठित की गयी 8 क्षेत्रीय समितियों
की जानकारी देते हुए क्षेत्रीय समिति संख्या 1 में सम्मिलित उत्तराखण्ड,
जम्मू एवं कष्मीर एवं हिमाचल प्रदेश राज्यों की कृषि एवं सम्बन्धित विषयों
की विभिन्न समस्याओं तथा यहां की विशेषताओं जैसे औद्यानिकी, समन्वित मछली
पालन, कृषि वानिकी, मौन पालन एवं उनसे परागण द्वारा उत्पादन में वृद्धि,
शीतजल मछली पालन, मशरूम उत्पादन, इत्यादि की चर्चा करते हुए इस बैठक को
एक-दूसरे से सीखने का एवं शोध के लिए बिन्दु निर्धारण करने का अवसर बताया।
कुलपति,
डा. मंगला राय ने इस अवसर पर सभी का स्वागत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय
में हाल ही में तीन विशेष कार्यक्रम आयोजित किये गये, जिनमें पर्वतीय खेती
की भावी सम्भावनाएं, पशुओं से मनुष्यों एवं मनुष्यों से पशुओं में होने
वाली जूनोटिक बीमारियों तथा कृषि पत्रकारिता को आम पत्रकारिता के समकक्ष
लाने के विषयों पर संगोष्ठी सम्मिलित हैं। उन्होंने बताया कि इन तीनों
संगोष्ठियों की संस्तुतियों को इस समिति द्वारा देखे जाने और उन पर अमल
करने हेतु दिशा निर्धारित किये जाने की भी आवष्यकता है। उद्घाटन सत्र के
अंत में डा. पी.के. मिश्र ने इस बैठक में उपस्थित अतिथियों के साथ-साथ
आई.सी.ए.आर. के संचालक मण्डल के सदस्यों, इस क्षेत्र के कृषि
विष्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों, आई.सी.ए.आर. के शोध संस्थानों के निदेशक,
राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं आई.सी.ए.आर. के अधिकारियों
का धन्यवाद करते हुए इस बैठक के सफल होने की पूर्ण आषा जतायी। इस दो-दिवसीय
बैठक में लगभग 150 प्रतिभागी सम्मिलित हो रहे है। कार्यक्रम का संचालन डा.
अनुराधा दत्ता, प्राध्यापक, विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय द्वारा किया
गया। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों द्वारा विभिन्न संस्थानों एवं
विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों द्वारा लिखित साहित्य का विमोचन भी किया
गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी अक्षत गुप्ता, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कृष्ण
कुमार वीके उपस्थित थे।
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