प्राशासन और सरकारे कब खोलेंगी अपनी आँखें - ओपन लेटर
Ø "सबको शिक्षा का अधिकार"-
माननीय सर्वोच्च न्यायालय
Ø "शिक्षा की गुणवत्ता
पर विशेष ध्यान दूंगा"- प्रकाश जावड़ेकर - शिक्षा मंत्री
Ø "शिक्षा में अमूल चूल सुधार की जरुरत
" -हरीश रावत - मुख्यमंत्री उत्तराखंड
माननीय
चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट , माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय शिक्षा मंत्रिगण - आपके विचारों की जितनी प्रशंसा की जाए
उतनी ही कम है , लेकिन वास्तव में जो इनका अनुसरण करता है उनके
साथ कैसा बर्ताव किया जाता उसका एक उदाहरण आपके समक्ष रख रहा हूँ,
एक विद्यालय श्री दशमेश पब्लिक स्कूल , लोहिया पुल बरखेडी , जो 1991 से मान्यता प्राप्त
था, जिसके बच्चे हर वर्ष नवोदय
विद्यालय में चयनित होते आये हैं, 1991 से लेकर 2012 तक लगभग 60 बच्चे नवोदय विद्यालय
में चयनित हो चुके हैं, 2012 के बाद इस कारण से मान्यता
का नवीनीकरण नहीं किया गया कि जब तक घूस नहीं दोगे मान्यता नहीं मिलेगी, होनहार बच्चे नवोदय की परीक्षा में नहीं बैठ पाए, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया, (R T E के
बच्चों का भी ध्यान नहीं रखा गया) मार्च 2014 तक R T E की
धनराशी आ चुकी है , लेकिन 2014-15 की धनराशि B.E.O साहब देने से इनकार कर रहे हैं, कोई इनसे पूछे की पूरे
ब्लाक में दशमेश पब्लिक स्कूल के अलावा कोई एक भी और स्कूल है जिसके 60 बच्चे नवोदय विद्यालय
के लिए चयनित हुए हों, पूरे जिले में ऐसे कितने स्कूल हैं , पूरे राज्य में 10 से ज्यादा ऐसे स्कूल नहीं होंगे,
मेरा
सपना था कि ये सिलसिला ऐसे ही लगातार चलता रहे, लेकिन इन अफसरों की
मनमानी के कारण मान्यता नहीं मिल पाई, और मेरा ये सपना भी
टूट गया, इस विद्यालय की प्रबंध समिति का उद्देश्य
पैसा कमाना नहीं केवल और केवल ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को कम फीस में उच्च गुणवत्ता
पूर्ण शिक्षा देना था .
प्रबंध समिति को बिना नोटिस दिए पुलिस में F I R कराई, पुलिस प्रधानाध्यपिका, एक अध्यापक और चार वर्ष की बच्ची को चौकी में ले गई , चार घंटे तक चौकी में बिठाय रखा और प्रबंध समिति से लिखवा कर लिया गया कि स्कूल बंद रखेंगे , जबकि अभी भी कई स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं , R T I (सूचना के अधिकार ) के द्वारा गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के बारे में पूछा तो लिखित रूप में मन कर दिया गया कि नहीं बताया जायगा .
प्रबंध समिति को बिना नोटिस दिए पुलिस में F I R कराई, पुलिस प्रधानाध्यपिका, एक अध्यापक और चार वर्ष की बच्ची को चौकी में ले गई , चार घंटे तक चौकी में बिठाय रखा और प्रबंध समिति से लिखवा कर लिया गया कि स्कूल बंद रखेंगे , जबकि अभी भी कई स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं , R T I (सूचना के अधिकार ) के द्वारा गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के बारे में पूछा तो लिखित रूप में मन कर दिया गया कि नहीं बताया जायगा .
अफसर और क्लर्क कानून को अपनी बपौती मान कर
शरीफ इंसान को तो यहाँ तक बोल देते हैं कि जो करना है कर लो , हम किसी से नहीं डरते ,
एक शंकुल अधिकारी लोगों से 500 रुपये लेकर R T E वाले बच्चों की फाइल तैयार करती है और सम्बंधित
स्कूल को बच्चों का प्रवेश करने के लिए कहा जाता है।
इतने बढ़िया स्कूल के लिए तो स्टेट या नेशनल
अवार्ड मिलना चाहिए था पर इन अफसरों ने पूरी मान मर्यादा मिट्टी में मिला दी।
महोदय
आपके कथन कहीं भाषणों और पेपरों तक ही सिमित ना रह जाए, नहीं तो इन भ्रष्ट अफसरों और क्लर्कों का सुधार कैसे होगा जो नियमो की धज्जियाँ
उड़ा रहे हैं ,
इन्साफ की आशा करता हुआ आपका शुभ चिन्तक
शाम लाल शर्मा
मेनेजर
श्री दशमेश पब्लिक स्कूल
बरखेडी, काशीपुर
उधम सिंह नगर
उत्तराखंड
नोट- : इस ओपन लेटर में इतनी सच्चाई होने के कारण हमारे सम्पादक ने कोई परिवर्तन नहीं किया ., हम सभी से पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, समाजिक संस्थाओं और नेताओं से अपील करते हैं कि इस पत्र को अधिक से अधिक शेयर करें, जिससे भ्रष्ट अधिकारियों और शिक्षा के के मंदिरों को कानून के डंडे से बंद करने वालों को सख्त सजा मिले।
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