आप सभी को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत बहुत शुभ कामनाएं, अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है, लेकिन महिला दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है जब महिलाओं को बराबरी का हक देने ही नहीं चाहते, बड़ी बड़ी बातें करने वाले नेता अपनी सरकार बनते ही महिलाओं पर किये वादे भूल जाते हैं और महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की बात करने वाले नेता चुनावों में महिलाएं को ३ प्रतिशत सीटें भी नहीं दे पाते, दूसरी ओर अभिनेता, टीवी और फिल्मो में नाम और पैसा कमाने के लिए बेटियों का उपयोग करते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ करते दिखाई नहीं देते, और करें भी क्यों ? “तू चीज बड़ी है मस्त मस्त” जैसे गानों पर हर लड़का और  लड़की झूम रहे हैं उन्हें कोई परेशानी नहीं है की लड़की को एक चीज बनाकर रख  दिया है,
  जिन महिलाओं के हक के लिए बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं वो भी अपने हक़ के प्रति उत्साहित नहीं दिखती , उनमे एकता की कमी दिखाई देती है, कोई बहुत बड़ी घटना घटे तो ही कुछ महिलाएं बाहर निकलती है वर्ना तो वह अपने में ही खोई रहती हैं या उनको बाहर निकलने ही नहीं दिया जाता,

महिलाओं को फिल्मो में एक एंटरटेनमेंट के रूप में दिखाया जाता है और विज्ञापनों में एक उपभोग की वास्तु के रूप में , ऐसे ही समाज की मानसिकता बनाई जा रही है,
महिलाओं को उनका हक दिलवाने के लिए नेताओं, अभिनेताओं, फिल्म बनवाने वालों और  बड़ी बड़ी बातें करने वालों से स्टाम्प पेपर में लिखकर ले लेना चाहिए, की वो असलियत में महिलाओं को हक दिलवाने के लिए क्या करेंगे ? और कब करेंगे, या सिर्फ उनका उपयोग करके नोट और वोट का धंधा करते रहेंगे,
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हर उस इंसान को अपने मन में एक बात बैठानी होगी की हम सबको महिलाओ का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वो कोई वस्तु नहीं है, वह एक माँ है, बहन है, किसी की पत्नी है और आखिर में एक इंसान है ना की कोई मस्त मस्त चीज , उनको भी सम्मान के साथ जीने का अधिकार है ,
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जय हिन्द जय भारत
 


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