स्वतंत्रता दिवस की 68वीं वर्षगाँठ की पूर्व संध्या पर राष्ट्पति का देश के नाम सन्देश :
August 14, 2014
सन्देश के मुख्य अंश :
प्यारे देशवासियो स्वतंत्रता दिवस की 68वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर मैं आपका स्वागत करता हूंः
मैं हमारी सशस्त्र सेनाओं, अर्ध सैनिक बलों और आंतरिक सुरक्षा बलों के सदस्यों को विशेष बधाई देता हूं
हाल ही में ग्लासगों में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में सम्मान पाने वाले सभी खिलाड़ियों को मैं बधाई देता हूं
शिथिल मस्तिष्क गतिविहीन प्रणालियों का सृजन करते हैं जो विकास के लिए अड़चन बन जाती है
लोकतंत्र में जन कल्याण हेतु आर्थिक व सामाजिक संसाधनों के दक्षतापूर्ण व
कारगर प्रबंधन के लिए शक्तियों का प्रयोग ही सुशासन होता है
समय बीतने व पारितंत्र में बदलाव के साथ कुछ विकृतियां भी सामने आती हैं जिससे कुछ संस्थाएं शिथिल पड़ने लगती हैं, जब कोई संस्था उस ढंग से कार्य नहीं करती जैसी कि अपेक्षा होती है तो हस्तक्षेप की घटनाएं दिखाई देती है
सुशासन वास्तव में विधि के शासन, सहभागितापूर्ण निर्णयन, पारदर्शिता,
तत्परता, जवाबदेही व समावेशिता पर पूरी तरह निर्भर होता है, इसके तहत राजनीतिक प्रक्रिया में सिविल समाज की व्यापक भागीदारी की अपेक्षा होती है, इसमें युवाओं की लोकतांत्रिक संस्थाओं में सघन सहभागिता जरूरी होती है, इसमें जनता को तुरंत न्याय प्रदान करने की अपेक्षा की जाती है
मीडिया से नैतिक तथा उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा होती हैः
हमारे जैसे आकार, विविधताओं व जटिलताओं वाले देश के लिए शासन के संस्कृति आधारित मॉडलों की जरूरत हैः
गरीबी के अभिशाप को समाप्त करना हमारे समय की निर्णायक चुनौति है, अब हमारी नीतियों को गरीबी के उन्मूलन से गरीबी के निर्मूलन की दिशा में केंद्रित होना होगा
पिछले 6 दशकों में गरीबी का अनुपात 60 फीसदी से से भी अधिक की पिछलेी दर से कम होकर 30 फीसदी से नीचे आ चुका है,इसके बावजूद हमारी जनता का 1/3 हिस्सा गरीबी की रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहा है,निर्धनता केवल आंकड़ा नहीं हैः
निर्धनता का चेहरा होता है और यह तब असहनीय होता है जब बच्चे के मन पर अपने निशान छोड़ जाता है
निर्धन अब एक और पीढ़ी तक न तो इस बात का इंतजार कर सकता है और न ही करेगा
कि उसे जीवन के लिए अनिवार्य जरूरतों से वंचित रखा जाएः
आर्थिक विकास से होने वाले लाभ निर्धन से निर्धनतम व्यक्ति तक पहुंचने चाहिएः
पिछले दशक के दौरान हमारी अर्थव्यवस्था की में प्रतिवर्ष 7.6 फीसदी की औसत दर से वृद्धि हुईः
कभी- कभार तेजी के बावजूद महंगाई में कमी आने लगी है
पिछले दशक में रोजगार में प्रतिवर्ष 4 फीसदी की औसत दर से वृद्धि हुई हैः
विनिर्माण सेक्टर फिर से उभार पर हैः
विनिर्माण सेक्टर फिर से उभार पर हैः
हमारी अर्थव्यवस्था के 7-8 फीसदी की उच्च विकास दर से बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हो चुका हैः
अर्थव्यवस्था विकास का भौतिक हिस्सा हैः
शिक्षा उसका आत्मिक हिस्सा हैः राष्ट्रपति
हमारी शिक्षा संस्थाओं का यह दायित्व है कि वे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करेंः
12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक हम 80 फीसदी की साक्षरता दर प्राप्त कर चुके होंगेः
हमारे विचार हमारे वातावरण से प्रभावित होते हैंः
स्वच्छ वातावरण से स्वच्छ विचार उपजते हैं, स्वच्छता आत्म सम्मान का प्रतीक हैः
हमें प्रकृति को सहेज कर रखना होगा ताकि प्रकृति भी हमें सहेजती रहेः
प्राचीन सभ्यता होने के बावजूद भारत आधुनिक सपनों से युक्त आधुनिक राष्ट्र हैः
असहिष्णुता और हिंसा लोकतंत्र के साथ धोखा हैः
भारतवासी जानते हैं कि आर्थिक या सामाजिक किसी भी तरह की प्रगति बिना शांति के हासिल करना कठिन हैः
इस संदेश को ऐसे समय भूलने का खतरा हम नहीं उठा सकते जब अशांत वैश्विक परिवेश ने हमारे क्षेत्र औऱ उससे बाहर खतरे पैदा कर दिए होः
भारत लोकतंत्र, संतुलन, अंतर व अंतःधार्मिक समरसता की मिसाल हैः
हमें अपने पंथनिरपेक्ष स्वरूप की पूरी ताकत से रक्षा करनी होगीः
हमारा संविधान हमारी लौकतांत्रिक संस्कृति की परिणति हैः
यह हमारे प्राचीन मूल्यों को प्रतिबिंबित करता हैः
68 वर्ष की आयु में एक देश बहुत युवा होता हैः
भारत के पास 21 वीं सदी पर वर्चस्व कायम करने के लिए इच्छाशक्ति, ऊर्जा, बुद्धिमत्ता, मूल्य व एकता मौजूद हैः
एक पुरानी कहावत है सिद्धिर्भवति कर्मजा, अर्थात सफलता कर्म से ही पैदा होती हैः
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