केरल में राज्य की कांग्रेस सरकार ने शराब पर बेन लगाने की शुरुवात की है। केरल राज्य में शराब की खपत सबसे ज्यादा होती है जबकि पंजाब  नंबर 2 पर है , केरल को शराब मुक्त बनाने के लिए कांग्रेस सरकार ने  10  सालों का प्रस्ताव  रखा  है , सरकार ना नए लाइसेंस देगी और नाहीं पुराने लाइसेंस रीन्यू करेगी।

 अब सवाल यह उठता है की क्या कांग्रेस अपने सभी राज्यों की जनता का भला चाहती है तो उसे अपने सभी राज्यों में  पर बेन लगाने का काम शुरू कर देना चाहिए। 

उत्तराखंड में तो शराब को बढ़ावा देकर जगह- जगह शराब के बार और ठेके खोले जाते  है और लोगो की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाता है , दुर्घटनाओ को बढ़ावा दिया जाता है , घरेलु हिंसा में भी शराब बहुत बड़ा रोल अदा करती है। गरीब आदमी की कमाई का बड़ा हिस्सा शराब में बर्बाद हो जाता है।  शराब पीने वाले लोगो के बच्चों पर भी बुरा असर होता है। 

कुछ करोड़ रुपये के राजस्व के लालच में सरकारें शराब को बढ़ावा देती है। सड़को के किनारे हाइवों पर उच्च न्यायालयों के आदेश के बाद भी शराब की दुकाने खुलवाती है, लेकिन कभी जनता के नुकसान के बारे में सर्वे नहीं किया गया की कितनी दुर्घटनाये , अपराध और हिंसा का कारण शराब ही है।  महिलाओं के लिए तो शराब सबसे खतरनाक साबित होती है। अगर सरकार असल में जनता की हितेषी है तो जल्दी ही केरल की तरह शराब पर बेन लगा देना चाहिये। और मोदी सरकार को भी इस ओर कदम बढ़ाने चाहिये।