आज यह कहावत सिद्ध होती दिख रही है की जैसी प्रजा होती है, वैसा ही उसका राजा होता है और उसके मंत्री व सेवक भी वैसे ही होते है।  आज हमारे देश की जनता में लालच और स्वार्थ कूट-कूट कर भरा हुआ है , कोई किसी की भलाई नहीं करना चाहता। लोग इतने लालची हो गए है की पैसे के लिए माँ, बाप, भाई, बहन, दोस्त, पडोसी, सहयोगी सभी को धोखा देने से नहीं चूकते। स्वार्थ भी इतना बड चूका है की जब तक अपने परिवार की लड़की के साथ कुछ घटना नहीं हो जाती उनका दिल नहीं पसीजता, घर के किसी नौजवान की दुर्घटना में मौत नहीं हो जाती यातायात कानून समझ में नहीं आता। 

अब तो लोकतंत्र में प्रजा को ही राजा कहा जाता है तो कहावत भी सिद्ध हो ही गई प्रजा लालची और स्वार्थी तो राजा तो वो ही है, और आज के नेता -मंत्री और नौकरशाह भी लालच और स्वार्थ से भरे हुए है। इनसे क्या उम्मीद लगाईं जा सकती है। अगर  सबको सुधारना है तो पहले प्रजा को सुधारना होगा वही से सुधरे हुए नेता और नौकर आयंगे।