यह सर्वविदित है कि बच्चो की शादी घोर अन्याय है
क्योंकि यह एक बच्चें घड़े की तरह होते है जो कि वैवाहिक जीवन की कठोरता को
सहन करने एवं अपने दायित्वो को निभाने मे सक्षम नही होते है । इसलिए वाल
विवाह से एक कमजोर संतान एवं परिवार की नींव बनती है जो कि समाज के लिए
घातक है । अतः यह समाज सेवी संस्थान का ही कर्त्तव्य है कि यह जन प्रचार से
इसकी रोक-घाम करे अपितु सजग प्रशासन को भी अपना सक्रिय सहयोग देना जरूरी
है । बाल-अबरोध कानून की जानकारी हर व्यक्ति को होनी परम आवश्यक है । बाल
विवाह अवरोध अधिनियम 1923 के महत्वपूर्ण प्रावधान इस प्रकार है :-
18 साल से उपर का लेकिन 21 साल से कम उम्र का लड़का अगर 18 साल से कम उम्र की लडकी से शादी करता है तो उसे 15 दिन तक का कारावास और 1000/- रु० जुर्माना या दोनों इस अधिनियम की घारा - 3 मे किये जा सकता है । इसी प्रकार यदि 21 साल से अधिक उम्र का लडका 18 साल से कम उम्र की लडकी से शादी करता है तो घारा - 4 मे तीन माह की कैद और जुर्माना किया जा सकता है । इसके अतिरिक्त बाल विवाह करवाने वाले माता - पिता , रिश्तेदार , बाराती , विवाह करवाने वाले पंडित पर भी वाल - विवाह करवाने मे अपना सक्रिय योगदान देने के परिणाम स्वरूप इस अधिनियम के अंतर्गत तीन माह की कैद और जुर्माना हो सकता है ।
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