पंतनगर। 26 फरवरी, 2016। विष्वविद्यालय के रतन सिंह सभागार में आज तीन-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘पर्वतीय कृषि परिदृष्य’ का उत्तराखण्ड के राज्यपाल, डा. कृष्ण कान्त पाॅल ने उद्घाटन किया। इस अवसर पर विष्वविद्यालय के कुलपति, डा. मंगला राय; केन्द्रीय कृषि विष्वविद्यालय, इम्फाल के कुलपति, डा. एम.पी. सिंह; पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के निदेषक, डा. ए. पटनायक; भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली के निदेषक, डा. आर.के. सिंह; तथा विष्वविद्यालय के निदेषक शोध एवं संगोष्ठी के आयोजक, डा. जे.पी. सिंह भी मंचासीन थे। 

    अपने उद्घाटन सम्बोधन में डा. पाॅल ने कहा कि पंतनगर विष्वविद्यालय को अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर पर्वतीय क्षेत्रों के कृषि उन्नयन हेतु शोध एवं विकास पर ध्यान केन्द्रित करने की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से किसानों का पलायन रोकने के लिए वहां पैदा होने वाली फसलों, जैसे सेब, नाषपाती, आड़ू; खाद्यान फसलें, जैसे मोटे अनाज, मडुवा, इत्यादि तथा दलहनी फसलों, जैसे राजमा, भट्ट तथा सूखे मेवे, जैसे अखरोट, काफल, चिलगोजा, इत्यादि जिनकी शहरों में काफी मांग है और जिनकी पोषण क्षमता भी अधिक है, का उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा साथ ही औषधीय एवं सगन्धी फसलों तथा मसालों की खेती की ओर भी ध्यान देने की बात राज्यपाल ने कही। बदलते पर्यावरण तथा बढ़ते वैष्विक तापमान के प्रति संवेदनषील हिमालयी क्षेत्र की खेती का इस प्रकार प्रबन्धन किया जाना होगा ताकि इनका कुप्रभाव कम से कम हो। उन्होंने खेती के साथ-साथ वानिकी के अनुपात को बनाये रखने की भी आवष्यकता बतायी जिससे खेती को टिकाऊ बनाया जा सके। विष्वविद्यालय एवं प्रदेष सरकार के प्रसार कार्यकर्ताओं द्वारा किसानों की आर्थिकी को सम्बल प्रदान करने के अन्य सभी विकल्पों के बारें में बताए जाने तथा उनमें विष्वास पैदा करने को भी डा. पाॅल ने आवष्यक बताया। राज्यपाल ने स्थानीय स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण एवं भण्डारण इकाईयों की स्थापना पर भी बल दिया।
    पंतनगर विष्वविद्यालय के कुलपति डा. मंगला राय ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों की समस्याओं का ठीक प्रकार से समाधान करने के विष्वविद्यालय के संकल्प के अंतर्गत इस तीन-दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है, जिसमें देषभर से पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं पर विषिष्ट ज्ञान एवं अनुभव रखने वाले वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया गया है, जिनकी सहायता से पर्वतीय कृषि के उन्नयन एवं विकास के लिए शोध एवं विकास के साथ-साथ नीतिगत दिषा निर्धारण किया जाएगा जिसे प्रदेष एवं देष की सरकार को भी प्रेषित किया जाएगा ताकि उन पर कार्यवाही की जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि सीमित साधनों को देखते हुए एक-दूसरे के संसाधनों का प्रयोग कर पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के विकास हेतु एक साथ कार्य करने के लिए, जम्मू एवं कष्मीर से लेकर उत्तर-पूर्व पर्वतीय राज्यों में स्थित विभिन्न संस्थानों के कन्सोर्टियम के गठन हेतु भी संगोष्ठी में विचार किया जायेगा। डा. मंगला राय ने बताया कि इस संगोष्ठी में आठ तकनीकी सत्र आयोजित किये जायेंगे, जिनमें विपणन एवं व्यापार, शीतोष्ण बागवानी, पषुपालन सुधार, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन, कृषि में श्रम को कम करना, पोटेन्षियल फसलें, मृदा एवं जल संरक्षण तथा शीतजल-मछली पालन विषय सम्मलित हैं। विपणन एवं व्यापार को सबसे अधिक महत्वपूर्ण समझते हुए इस सत्र को सबसे पहले आयोजित किया जा रहा है। 

    इस अवसर पर डा. एम.पी. सिंह ने उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि की समस्याओं, जैसे गुणवत्तायुक्त बीज एवं पौध रोपण सामग्री की कमी, सर्दियों में सिंचाई जल की कमी तथा फार्म मषीनीकरण की आवष्यकता जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। डा. आर.के. सिंह ने उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालन के महत्वपूर्ण मुद्दों, जैसे चारा-दाना की कमी, पशुओं की जनन क्षमता में कमी, विभिन्न क्षेत्रों की विषिष्टताओं आदि के बारे में बताया, जबकि ए. पटनायक ने पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों की छोटी एवं बिखरी जोत, बीज प्रतिस्थापन की दर में कमी, चारा की कमी, इत्यादि के बारे में अपने विचार रखे। 

                इस अवसर पर विष्वविद्यालय द्वारा विकसित एवं केन्द्रिय समिति द्वारा जारी की गई बासमती धान की नई प्रजाति पंत बासमती-1 एवं पंत बासमती-2 के प्रजनकों को राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया, जिनमें डा. सुरेन्द्र सिंह, डा. इन्द्रदेव पाण्डेय, डा. एम.के. नौटियाल, डा. एम.के. कर्णवाल, डा. डी.सी. बासखेती, जैनेन्द्र प्रसाद एवं श्रवण कुमार सम्मिलित थे। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के अंत में डा. जे.पी. सिंह ने सभी का धन्यवाद किया। इस सत्र में विभिन्न विष्वविद्यालयों एवं संस्थानों के वैज्ञानिक, अधिकारी के साथ-साथ उपमहानिदेषक पुलिस, पुष्कर सिंह सैलाल; जिलाधिकारी, ऊधमसिंह नगर, अक्षत गुप्ता के अतिरिक्त जिला स्तर के कई प्रषासनिक अधिकारी भी उपस्थित थे।

राज्यपाल ने किया ‘विष्वविद्यालय केन्द्र’ का शिलान्यास
राज्यपाल द्वारा विष्वविद्यालय परिसर में एक ‘विष्वविद्यालय केन्द्र’ का शिलान्यास भी किया गया। दस करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले इस केन्द्र में विभिन्न ब्लाॅक बनाएं जाएंगे जिनमें विद्यार्थियों एवं स्टाफ के लिए रेस्टोरेंट, एक कान्फ्रेंस एवं काउंसलिंग हाॅल तथा विष्वविद्यालय के विभिन्न उत्पादों के विक्रय काउंटर बनाए जाएंगें। साथ ही इसमें 500-700 विद्यार्थियों की बैठने की क्षमता वाले एम्फीथियेटर का भी निर्माण किया जाएगा। 
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