रूद्रपुर 17 अक्टूबर- पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नयी-नयी तकनीकें एवं नई प्रजातियों के गुणवत्तायुक्त बीज पर्वतीय क्षेत्र के किसानों तक पहुंचना अत्यंत आवश्यक है, ताकि पर्वतीय कृषि को अधिक उत्पादक एवं लाभकारी बनाया जा सके एवं युवाओं को कृषि से जोड़ा जा सके। यह बात आज उत्तराखण्ड के राज्यपाल, डा. कृष्ण कांत पाॅल ने पंतनगर विष्वविद्यालय के 100वें अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्षनी का गांधी हाॅल में मुख्य अतिथि के रूप में शुभारम्भ करते हुए कही। राज्यपाल ने सर्वप्रथम गांधी मैदान में फीता काटकर मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति, डा. जे. कुमार; क्षेत्रीय विधायक, श्री राजेश शुक्ला; एवं निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. वाई.पी.एस. डबास के अतिरिक्त अन्य गणमान्य अतिथि एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे। 
 
 सम्बोधन में डा. पाॅल ने कहा कि वैज्ञानिकों को उत्तराखण्ड के सुदूर क्षेत्रों के किसानों से संपर्क कर वहां की परिस्थितियों एवं किसानों के सुझावों के अनुसार अपने शोधों को दिशा देनी चाहिए। साथ ही कम पानी की आवश्यकता एवं अधिक प्रोटीन वाली एवं रोगरोधी पोषक प्रजातियों के विकास पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए। डा. पाॅल ने सेब, अखरोट, औषधीय एवं सगंधी फसलों एवं अन्य पर्वतीय फसलों की उच्च गुणवत्तायुक्त एवं गन्ने की कम पानी में अच्छा उत्पादन देने वाली प्रजातियों के विकास पर भी बल दिया। डा. पाॅल ने यह भी कहा कि नई प्रजातियां जलवायु परिवर्तन से प्रभावित नहीं होनी चाहिए तथा ऐसी सभी नई प्रजातियों के गुणवत्तायुक्त बीज किसानों को उपलब्ध कराये जाने चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि इस 100वें मेले में सम्मिलित होने पर उन्हें प्रसन्नता है तथा मेले में उपलब्ध नई प्रजातियों, गुणवत्तायुक्त बीजों, जैविक खाद, श्रम की बचत वाले कृषि यंत्रों, इत्यादि विभिन्न विषयों पर उपलब्ध विस्तृत जानकारी से मेले में आने वाले किसान अवश्य ही लाभ उठायेंगे तथा अपने उत्पादन में वृद्धि करेंगे। कुलपति, डा. जे. कुमार द्वारा राज्यपाल को मेले में लगे इन्नोवेशन स्टाल, पर्वतीय कृषि पर लगाये गये विशेष स्टाल एवं उद्यान प्रदर्शनी के स्टालों का भ्रमण कराया गया, जिनमें प्रदर्शित की गयी विभिन्न तकनीकों एवं उत्पादांे में राज्यपाल ने गहरी रूचि दिखाई। इसके बाद कुलपति ने राज्यपाल को खुली जीप में बैठाकर मेला प्रांगण का भ्रमण कराया गया। मुख्य उद्घाटन समारोह गांधी हाल सभागार में आयोजित किया गया। इस अवसर पर डा. के.के. पाॅल, डा. जे. कुमार, श्री राजेश शुक्ला एवं डा. डबास के अतिरिक्त निदेशक शोध, डा. जे.पी. सिंह भी मंचासीन थे।
कुलपति, डा. जे. कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि वर्ष 1965 में शुरू किये गये किसान मेले की संकल्पना अत्यंत सफल हुई जिसके बाद से किसान मेला प्रत्येक वर्ष दो बार आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में हुई हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, नीली क्रांति, इत्यादि विभिन्न क्रांतियों से देश की कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्रों में आशातीत वृद्धि हुई, किन्तु अब पुनः कृषि में कई चुनौतियां हैं, जिनमें वातावरण में बदलाव एवं छोटे व सीमांत किसानों की संख्या में वृद्धि जैसी चुनौतियां भी सम्मलित हैं। छोटे किसानों को खाद्य सुरक्षा एवं अगली हरित क्रांति के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए उनकी आवश्यकता के अनुसार तकनीकों के विकास पर उन्होंने बल दिया।  
इस अवसर पर स्थानीय विधायक, श्री राजेश शुक्ला ने पंतनगर विश्वविद्यालय को प्रदेश स्तर से पूर्ण सहयोग दिये जाने की बात कही, जिससे प्रदेश व देश के किसानों का विश्वविद्यालय पर विश्वास बना रहे। उद्घाटन समारोह में राज्यपाल द्वारा 100वें किसान मेले का स्मृति चिन्ह विमोचित किया गया। उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों से चयनित 10 किसानों को खेती में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए सम्मानित किया गया। राज्यपाल, डा. के.के. पाॅल, को कुलपति द्वारा शाॅल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। विश्वविद्यालय की प्रबन्ध परिषद् की सदस्य, सुश्री शिल्पी अरोरा; स्थानीय विधायक, श्री राजेश शुक्ला; पूर्व निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. शिवसागर सिंह एवं डा. के.पी. सिंह को भी 100वें मेले के इस अवसर पर स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। 
उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. डबास ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया एवं मेले के विषय में जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में विष्वविद्यालय के निदेषक शोध, डा. जे.पी. सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। मेले में उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों के साथ-साथ अन्य प्रदेशों तथा नेपाल के किसान भी बड़ी संख्या में आते हैं। इस अवसर पर जिलाधिकारी चन्द्रेश कुमार यादव, एसएसपी सैंथिल अबुदई, सीडीओ आलोक कुमार पाण्डेय सहित अन्य लोग उपस्थित थे।


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